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ऐसे पाएं प्रपंचों से मुक्ति

ऐसे पाएं प्रपंचों से मुक्ति

महान संत गोरखनाथ ने घोर तपस्या के बल पर अनेक सिद्धियां प्राप्त की थीं। वह चाहते थे कि यह सिद्धियां किसी सुयोग्य संत को ही दी जाएं।

 एक दिन गोरखनाथ जी काशी में गंगा नदी के किनारे बैठे हुए थे। उन्होंने वहां एक दंडी संन्यासी को गंगा में अपना दंड प्रवाहित करते हुए देखा। गोरखनाथ जी उनके पास पहुंचे। और बोले, ‘ हे महात्मा मैं आप जैसे सुयोग्य की तलाश में हूं, जिन्हें मैं साधना से प्राप्त सिद्धियां प्रदान कर सकूं।’
इसलिए ये सिद्धियां आप लेकर मुझे कृतार्थ करें। संन्यासी ने बाबा गोरखनाथ के आगे दोनों हाथ फैला लिए। बाबा ने उन्हें अपनी सिद्धियां दीं। तब संन्यासी ने दोनों दोनों हाथों की अंजुलियों को गंगा की ओर कर कहा, ‘मां गंगे मैं बड़े भाग्य से सांसारिक प्रपंचों से मुक्ति पा सका हूं। इन सिद्धियों को आपके लिए अर्पित करता हूं।’
गुरु गोरखनाथ उस संन्यासी की विरक्ति देख हैरान हो गए। वह बोले, महात्मा वास्तव में सच्चे संन्यासी तो आप हैं। जिन्हें दुर्लभ सिद्धियां भी आकर्षित नहीं कर पाईं और उन्हें जल में समर्पित करने में आपने एक क्षण नहीं सोचा।
संक्षेप में
यह दुनिया क्षण भंगुर है। यहां जो आप अच्छे कार्य करते हैं वही मरने के बाद याद रखे जाते हैं। आप चाहे जितना पैसा कमा लें। सिद्धियां हासिल कर लें। ऐसा कुछ भी आपके पीछे नहीं रहेगा। यह सभी प्रपंच हैं। कोशिश करें, अच्छे कर्म करें। प्रपंचों में बिल्कुल न फंसे।

Hindi to English

The great Saint Gorakhnath had achieved many accomplishments on the basis of austerity. He wanted that these works be given to a suitable saint only.

One day, Gorakhnath was sitting in Kashi on the banks of river Ganga. He saw a barrage of a Sannyasis flowing its penalty in the Ganges. Gorakhnath ji approached them. He said, ‘O Mahatma, I am in search of the virtuous like you, to whom I can provide the accomplishments of meditation.’

That’s why these accomplishments will make me gratuously. The sanyasi spread both hands in front of Baba Gorakhnath. Baba gave him his achievements Then the monk took the both of his hands towards the Ganges and said, ‘Mata Ganga, I have got rid of worldly pleasures with great fate. I dedicate these achievements to you. ‘

Guru Gorakhnath was surprised to see the annihilation of that monk. He said, Mahatma is actually a true sannyasin. You could not even draw rare siddhis and you did not think of taking a moment to devote them to water.

in short

This world’s time is brittle. Those who do good deeds here are remembered after you die. No matter how much money you earn. Acquire the achievements. Any such thing will not be behind you These are all gifts. Try, do good deeds. Not to be caught in celebrities.

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