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गोविन्द गली तेरी उस दिन ही छूटेगी


तेरी गलियों का हूँ आशिक़,
मैं किधर जाऊँगा,
तेरा दीदार ना होगा,
तो मैं मर जाऊँगा,
छोड़ कर सारे ज़माने को,
हुआ हूँ तेरा,
ताने मारेगा ज़माना,
मैं जिधर जाऊँगा।

गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी,
जिस दिन मेरी साँसों की,
ये डोरी टूटेगी,
गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी……..

पत्थर हूँ मगर मेरी,
क़ीमत बढ़ जायेगी,
जिस रोज नज़र तेरी,
मुझ पे पड़ जायेगी,
क़ीमत बढ़ जायेगी,
मटकी तेरी करुणा की,
इक रोज तो फूटेगी,
गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी…….

जिन राहों से प्यारे,
तेरा आना जाना है,
मज़िल है वही मेरी,
वही मेरा ठिकाना है,
ये हक़ है मेरा मुझसे,
दुनियाँ क्या लुटेगी,
गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी……..

बस तुझको मनाना है,
तेरा हो जाना है,
दीदार तेरा प्यारे,
पाना है तो पाना है,
बस तुझको मनाना है,
परवाह नहीं दुनियाँ,
मानेगी या रूठेगी,
गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी…….

मेरे श्याम गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी,
गोविन्द गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी,
जिस दिन मेरी साँसों की,
ये डोरी टूटेगी,
गोपाल गली तेरी,
उस दिन ही छूटेगी………….

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