एक मुर्गे और एक कुत्ते में बड़ी दोस्ती थी। दोनों साथ रहते, साथ ही खाते पीते और घूमते। एक दिन दोनों ने जंगल घूमने का कार्यक्रम बनाया। दोनों मित्र सुबह सुबह जंगल की सैर पर निकल पड़े। दोनों जंगल के सुंदर दृश्य देखकर प्रसन्न होते। नए नए जानवरों से बातें करते। भूख लगती तो जंगली फल फूल खाकर अपनी भूख मिटाते। इस तरह घूमते घूमते रात हो गयी।
दोनों मित्र आराम करने के लिए एक बड़े से बरगद के पेड़ के पास पहुंचे। मुर्गा पेड़ के ऊपर सो गया और कुत्ता पेड़ की जड़ में बने बड़े से कोटर में। सुबह होते ही मुर्गे ने अपनी आदत के अनुसार बांग दी। वहीं पास में एक सियार भी रहता था। मुर्गे की बांग सुनकर उसने सोचा, “अरे वाह! आज तो मुर्गे का नर्म मांस खाने का मौका मिलेगा। मुझे किसी प्रकार इसे पेड़ से नीचे उतारना चाहिए।”
यह सोचकर सियार पेड़ के पास जाकर मुर्गे से बोला, “अरे मुर्गे भाई, लगता है कि तुम इस जंगल में नए हो। मैं भी यहां नया ही हूँ। हम दोनों दोस्त बन सकते हैं। तुम नीचे आ जाओ। हम लोग ढेर सारी बातें करेंगे।”
मुर्गा सियार की चालाकी समझ गया। उसने मीठे स्वर में कहा, “क्यों नहीं भाई! हम बिल्कुल दोस्त बन सकते हैं। तुम जरा पास तो आओ। फिर मैं नीचे उतरता हूँ।”
शिकार की लालच में सियार नीचे कोटर में बैठे कुत्ते को नहीं देख पाया। जैसे ही वह पेड़ के नीचे आया, कुत्ते ने उस पर हमला करके उसे खत्म कर दिया। लालच के कारण सियार अपनी जान गवां बैठा।