कानूडो गोकुल में चाल्यो ले बाँसुरिया हाथ में
गढ़ गोकुल में रास रचावे गुज़रिया की साथ में
मीठी मीठी बंसी बजावे यो नंद जी को लाल
गुज़रया नाच रही रे घूमर घाल रही
सावन का महीना में इंद्र राजा मेह बरसावे रे
मोर पपिहा कोयल बोले सबको मन हरषावे रे
वृंदावन में घूम मचावे यो ननद जी को लाल
गुज़रया नाच रही रे घूमर घाल रही
मीठी मीठी मुरली म्हारो कानूडो बजाई रहियो
लुल लुल कर गुज़रिया नाचे सबको मन हर्षा रहियो
रोकया सू भी कोनिया रुकरी गुज़रिया की झाल
गुज़रया नाच रही रे घूमर घाल रही
कानूडो का भजन राजन बीरबल गावे रे
डीजे माले अल्फ़ा कैसेट्स जोरा धूम मचावे रे
अल्फ़ा कैसेट्स बाजे नाचे दुनिया घूमर घाल
गुज़रया नाच रही रे घूमर घाल रही……………