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गुप्तचर रविन्द्र कौशिक (ब्लैक टाईगर)

11 अप्रैल 1952 – नवंबर 2001
रिसर्च एंड एनेलिसिस विंग (RAW)
गुप्तचर रविन्द्र कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में एक कौशिक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। रविन्द्र प्रसिद्ध नाट्य कलाकार थे और अपनी योग्यता को राष्ट्रीय स्तर नाटक सभा, लखनऊ में प्रदर्शित कर चुके थे। उनके उस नाटक को भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के कुछ अधिकारियों ने भी देखा। तब उन्हें गुप्तचर बन कर पाकिस्तान जा कर देश की सेवा का प्रस्ताव दिया गया।
23 वर्ष की आयु में उन्हें गुप्त मिशन पर पाकिस्तान भेज दिया गया। रविन्द्र कौशिक रॉ द्वारा भर्ती किए गए और उन्हे दो वर्ष के लिए दिल्ली में गहन प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें इस्लाम की धार्मिक शिक्षा दी गई व पाकिस्तान के बारे में पूर्ण रूप से बताया गया और उर्दू भी सिखाई गई। मूल रूप से श्रीगंगानगर से होने के कारण वह पाकिस्तान के वृहद क्षेत्र में बोली जाने वाली पंजाबी भाषा बोलने में निपुण थे।
उन्हें वर्ष 1975 में पाकिस्तान भेजा गया और उन्हें नबी अहमद शाकिर नाम दिया गया। वे पाकिस्तान के कराची विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने में सफल रहे और उन्होंने वहां से एलएलबी की शिक्षा पूर्ण की। आगे चलकर वे पाकिस्तानी सेना में सम्मिलित हो गए। वह एक कमीशन अधिकारी बन गए और मेजर के पद पर पदोन्नत किये गए। उन्होंने वहां एक स्थानीय युवती अमानत से विवाह कर लिया, जिससे उनके एक पुत्र भी हुआ था।
वर्ष 1979 से 1983 तक उन्होंने रॉ को महत्वपूर्ण सूचनाएं दी, जो भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के लिए अत्यंत सहायक थीं। भारत के तत्कालीन गृह मंत्री एस.बी. चव्हाण ने उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ की उपाधि दी थी। कुछ जानकारों के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा यह उपाधि दी गई थी।
रविन्द्र कौशिक ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में सूदूर पाकिस्तान में अपने घर और परिवार से अपने जीवन के 26 वर्ष बिताए थे। उनके द्वारा प्रदान की गईं गुप्त सूचनाओं का उपयोग कर, भारत सदैव पाकिस्तान से एक कदम आगे रहा और अनेक अवसरों पर पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं पर युद्ध छेड़ना चाहा, किंतु रविन्द्र कौशिक द्वारा समय पर दी गई अग्रिम सूचनाओं का उपयोग कर शत्रु के इन प्रयासों को विफल कर दिया गया।
सितम्बर 1983 में भारतीय एजेंसी ने रविन्द्र कौशिक से संपर्क में रहने के लिए एक अन्य एजेंट इनायत मसीहा को पाकिस्तान भेजा था किंतु उस एजेंट को पाकिस्तान की एजेंसी ने पकड़ लिया और रविंद्र कौशिक के वास्तविक पहचान उजागर हो गई।
दो वर्ष तक रविन्द्र कौशिक पर सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में अत्याचार किए गए। वर्ष 1985 में उन्हे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई किंतु बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। 16 वर्ष तक उन्हें पाकिस्तान की सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेल सहित विभिन्न जेलों में रखा गया। वहां कौशिक को दमा और टीबी के रोग हो गए। वे गोपनीय रूप से भारत में अपने परिवार को पत्र भेजने में सफल रहे। जिसमें उन्होंने अपने क्षीण स्वास्थ्य की स्थिति और पाकिस्तान की जेलों में अपने ऊपर होने वाली यातनाओं के बारे में लिखा था।
खेदजनक रूप से भारत सरकार या रॉ ने उनकी सुध नहीं ली। अपने एक पत्र में उन्होंने लिखा था, “क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए बलिदान देने का यही ईनाम मिलता है ?” नवंबर 2001 में सेंट्रल जेल मुल्तान में फेफड़े, तपेदिक और हृदय के रोगों से वे शत्रु देश की भूमि पर बलिदान हो गए। उन्हें जेल के पीछे ही दफनाया गया था।
वर्ष 2012 में, प्रदर्शित बॉलीवुड फिल्म “एक था टाइगर” पर उनके परिवार ने कहा कि इस फिल्म की शीर्षक लाइन रविन्द्र के जीवन पर ही आधारित थी।
राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए बलिदान हुए भारत माँ के वीर सपूत को आज उनके जन्म दिवस पर शत्-शत् नमन। 🙏💐🙏

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