एक गणित के अध्यापक को अपने ज्ञान का बहुत घमंड था। एक बार उनको नदी पार कहीं जाना था। वे एक नाव में बैठ गए। नाविक एक बूढ़ा मल्लाह था। नाव चल पड़ी। थोड़ी दूर जाने के बाद उन्होंने मल्लाह से पूछा, “क्या तुमको गणित आती है?” नाविक ने जवाब दिया, “नहीं।”
इस पर शिक्षक बोले, “तब तो तुम्हारी चार आने (चौथाई) जिंदगी बेकार हो गयी। नाविक ने चुपचाप सुन लिया। थोड़ा और आगे जाकर अध्यापक ने पूछा, “क्या तुमको भूगोल का ज्ञान है?” मल्लाह ने कहा, “मुझे नहीं पता कि भूगोल क्या होता है?”
तब वह शिक्षक बोला, “तब तो तुम्हारी आठ आने (आधी) जिंदगी बर्बाद हो गयी।” नाविक इस बार भी कुछ नहीं बोला। थोड़ी देर बाद नाव बीच धारा में पहुंच गई। अचानक तेज हवा चलने लगी।
जिससे नाव डगमगाने लगी। तब मल्लाह ने शिक्षक से पूछा, “आपको तैरना आता है।” अध्यापक ने कहा, “नहीं, मुझे तैरना नहीं आता है।” इसपर नाविक बोला, “गणित और भूगोल न आने से मेरी तो केवल आठ आने जिंदगी बर्बाद हुई। लेकिन तैरना न आने से आपकी पूरी जिंदगी बर्बाद होने वाली है।”
अध्यापक का घमंड चूर-चूर हो गया।
Moral of Story- सीख
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीं होता। व्यवहारिक ज्ञान भी जरूरी है।