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ज्ञान से हुई मोक्ष की प्राप्ति – Gautam budh ki kahani

एक दिन की बात है , महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कुटिया में बैठे थे और ज्ञान चर्चा का विषय आरंभ था।

शिष्यों के आग्रह पर उन्होंने एक कहानी आरंभ की-

समीर नाम का एक जल्लाद मगध राज महल के पीछे बने कस्बे में रहता था। वह मगध साम्राज्य का प्रमुख जल्लाद था। उसका सारा जीवन दोषियों को फांसी देने में बीत गया। अब वह लगभग 60 वर्ष की आयु का हो गया था। समीर अब राजकीय सेवा से मुक्त हो चुका था और अपना अंतिम जीवन वह अपने घर में व्यतीत करता था। अपने जीवन काल में किए गए सभी घटनाओं को याद करता और पश्चाताप करता।

मेरे हाथों इतने जीवो की हत्या हुई !

यही सोच विचार करते हुए वह नहा धोकर तैयार हुआ।

जैसे ही वह खाना खाने के लिए बैठा दरवाजे पर आवाज आई।

समीर बाहर निकल कर देखता है तो , एक भिक्षुक उनके द्वार पर खड़ा है जो जान पड़ता है काफी दिनों की तपस्या के बाद उठा है और भूख से व्याकुल है। समीर तत्काल अपना वह भोजन जो स्वयं के लिए था , वह भिक्षुक को समर्पित कर दिया।

भिक्षुक की भूख शांत हो गई भिक्षुक प्रसन्न हुए।

भोजन के पश्चात भिक्षुक और समीर दोनों बैठे हुए थे , तभी समीर ने अपने जीवन में किए गए कार्यों को भिक्षुक के सामने प्रकट किया। समीर ने बताया वह राजकीय सेवा के दौरान अनेकों कैदियों अथवा अपराधियों को मृत्युदंड दिया।  जिसके कारण मुझे अपने पर अपराध बोध होता है और ग्लानि के भाव में सदैव ग्रस्त रहता हूं। भिक्षुक बड़े ही शांत चित्त भाव से समीर की बातों को सुन रहे थे और रह-रहकर मुस्कुरा रहे थे।

समीर ने अपने जीवन के प्रत्येक घटनाओं को भिक्षुक के सामने रख दिया।

समीर की सभी बातें समाप्त होने के बाद भिक्षुक ने उसे दोनों हाथों से उठाया और हृदय लगा लिया।

कहा वत्स तुमने यह सब क्या स्वयं से किया या फिर किसी के आदेश के कारण ?

समीर बोल पड़ा यह सब सिद्ध होने के बाद राजा के आदेश पर यही मैंने मृत्युदंड दिया।

वत्स फिर तुम दोषी कैसे हुए ? तुमने तो अपने स्वामी के आदेशों का पालन किया है ।

ऐसा कहते हुए भिक्षुक ने समीर को धम्म के उपदेशों को सुनाया।

उपदेश पूर्ण कर भिक्षुक वापस लौट गए , समीर जैसे ही भिक्षुक को विदा कर वापस आता है उसकी मृत्यु हो जाती है। जिसके उपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।कहानी अंत कर महात्मा बुद्ध शांत हुए। महात्मा बुद्ध के शिष्य इस पूरी घटना को ध्यान पूर्वक सुन रहे थे , उन्होंने महात्मा बुद्ध से पूछा जिसने जीवन भर अनेकों हत्या की थी , वह मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकता है ? महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और अपने शिष्यों को समझाया जिसने जीवन में पहली बार ज्ञान की प्राप्ति की हो।

अंत समय जिसका निकट हो और ज्ञान के शब्द उसके कानों में पड़े हो वह मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। महात्मा बुद्ध ने बताया – हजारों – हजार शब्दों के उपदेश व्यर्थ हैं , जब तक व्यक्ति का मन शांत ना हो , मन शांत होने पर एक शब्द से भी ज्ञान प्राप्त हो सकता है।

ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।

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