कभी कभी तू डाल के घुंघट पनघट जाती है
मतवाली सी चाल तेरी मेरे मन को भाति है
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है,
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,,,,,,,,
आधा घुंघट हाफ हाफ तेरे सुन्दरता को बड़ा रहा
सुन राधा तू ओ मेरी प्यारी दिल की धडकन बड़ा रहा
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,,,,,,
तेरे इस छोटे घुंघट से सीख मिलेगी सारो को
अपने लाज की और संस्कृति मिलेगी शिक्षा सारो को
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,,,,,
जो नारी सिंदूर को ढकती सूर्ये देव खुश होते है
करते है सिन्धुर उसी का अमर जो घुंघट करते है
लिखे उठा के कलम शेलेंदर भजन ये गाये है
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,,,,,,