किसी जंगल में एक गर्भवती हिरणी थी, जिसका प्रसव होने को ही था. उसने एक तेज धार वाली नदी के किनारे घनी झाड़ियों और घास के पास एक जगह देखी जो उसे प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान लगा.
अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी, लगभग उसी समय आसमान में काले -काले बादल छा गए और घनघोर बिजली कड़कने लगी जिससे जंगल में आग भड़क उठी.हिरणी घबरा गयी उसने अपनी दायीं और देखा लेकिन ये क्या! वहां एक बहेलिया उसकी और तीर का निशाना साधे हुए था, उसकी बाईं ओर भी एक शेर उस पर घात लगाये हुए उसकी और बढ़ रहा था अब वह हिरणी क्या करे ?
अब क्या होगा?
क्या वह सुरक्षित रह सकेगी?
क्या वह अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ?
क्या उसका नवजात सुरक्षित रहेगा?
या सब कुछ जंगल की आग में जल जायेगा?
अगर इनसे बच भी गयी तो क्या वह बहेलिये के तीर से बच पायेगी ?
या क्या वह उस खूंखार शेर के पंजों की मार से दर्दनाक मौत मारी जाएगी?
जो उसकी और बढ़ रहा है,
उसके एक और जंगल की आग, दूसरी और तेज धार वाली बहती नदी, और सामने उत्पन्न सभी संकट, अब वो क्या करे?
लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपने नव आगंतुक को जन्म देने की ओर केन्द्रित कर दिया .
फिर जो हुआ वो आश्चर्यजनक था .
कडकडाती बिजली की चमक से शिकारी की आँखों के सामने अँधेरा छा गया, और उसके हाथो से तीर चल गया और सीधे भूखे शेर को जा लगा. बादलो से अचानक बारिश की तेज बूंदें गिरने लगी और जंगल की आग धीरे -धीरे बुझ गयी.
इसी बीच हिरणी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म दिया .
ऐसा ही हमारी जिन्दगी में भी होता है, जब हम चारों ओर से समस्याओं से घिर जाते हैं , नकारात्मक विचार हमारे दिमाग को जकड लेते है, कोई संभावना दिखाई नहीं देती, तब हमें कोई एक उपाय करना होता है.
उस समय कुछ विचार बहुत ही नकारात्मक होते है, जो हमें चिंता ग्रस्त कर कुछ सोचने समझने लायक नहीं छोड़ते.
ऐसे में हमें उस हिरणी से ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी प्राथमिकता की ओर देखनी चाहिए, जिस प्रकार हिरणी ने सभी नकारात्मक परिस्तिथियाँ उत्पन्न होने पर भी अपनी प्राथमिकता “प्रसव “पर ध्यान केन्द्रित किया, जो उसकी पहली प्राथमिकता थी. बाकी तो मौत या जिन्दगी कुछ भी उसके हाथ में था ही नहीं, और उसकी कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया उसकी और गर्भस्थ बच्चे की जान ले सकती थी.