यह बंद दुकान दीनानाथ की है जो इंडिया-पाकिस्तान बटवारे के वक़्त बहुत अफसोस के साथ इस दुकान को पाकिस्तान छोड़कर इंडिया चले आए लेकिन जाते वक्त बहुत रोए ओर पूरे गांव को भी रुलाया।फिर गाँव के लोगों को यह दिलासा दिलाया कि मैं वापिस आप लोगों के पास लौट कर आऊँगा। पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रोविंस के जिला लोरा लाई में मौजूद इस दुकान पर अभी तक वही ताला लगा है जो दुकानदार दीनानाथ जी जाते वक्त लगाकर चाबी अपने साथ ले गया थे। 73 साल से यह दुकान बंद पड़ी है। पाकिस्तानी मकान मालिक जो अब इस दुनियाँ में नही रहा उसने एक कदम आगे बढाते हुए वसीयत कर दी कि इस दुकान का ताला तोड़ना नही जब तक दुकानदार बापिस नहीं आता।इस दुकान के मालिक के मरने के बाबजूद उसके बच्चों ने भी इसका ताला नहीं तोड़ा।वसीहत में लिखा कि मैंने उस दुकानदार को जबान दी है कि यह दुकान तुम्हारे आने तक बन्द रहेगी। मकान मालिक की औलादों ने आज तक उस ताले को हाथ तक नही लगाया।हालाँकि उन्हें मालूम है की दुकानदार यानी दीनानाथ जी इस दुनियाँ में नही रहे लेकिन वफ़ा की यादगार के तौर पर अब तक यह दुकान दो इंसानों के बीच यादगार की मिसाल बन गई है।कमाल के बंदे थे दोनों-मकान मालिक ते दुकानदार।इंसानों के बीच इतना प्यार ! फिर नफ़रतें कहाँ से आ गई ? कौन ले आया ?
पंछी नदिया पवन के झोंके
कोई सरहद न इन्हें रोके
सरहदें इंसानों के लिए हैं
सोचो ओर तुमने मैंने
क्या पाया इंसान हो के “
Source:
विनय शर्मा एडवोकेट
हिमाचल हाई कोर्ट शिमला
पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल
हिमाचल सरकार