हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे,
गम पेहले से ही कम तो न थे इक और मुसीबत ले बैठे,
हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे,
दिल केहता है तुम सुंदर हो
आँखे केहती है दिखलाओ
तुम मिलते नही हो आकार के हम कैसे कहे देखो ये बैठे है
हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे,
महिमा सुन के हैरान है हम तुम मिल जाओ तो चैन मिले
मन खोज के भी तुमे पाता नही तुम होके उसी मन में बैठे,
हे मुरली धर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे,
राधे स्वर रजा राम तुम्ही प्रभु योगेशेवर घनश्तुयाम तुही,
धुन्धारी बने कभी मुरली बजा यमुना तट निर्जन में बेठे,
हे मुरलीधर छलिया मोहन …………