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जब घनश्याम इस दिल में आने लगे


जब घनश्याम इस दिल में आने लगे
क्या कहे रंग क्या क्या दिखाने लगे,

आये युही जो इक दिन टेहल ते हुए,
कुछ झिझक ते हुए कुछ सम्बल ते हुए
छुपके छुपके से दिल लेके चलते हुए
मैंने पकड़ा जो बाहर निकल ते हुए
मोहनी डाल कल मुस्कुराने लगे
क्या कहे रंग क्या क्या दिखाने लगे,

इक दिन खाव्ब में खड़े आप है
दिन अडाने की धुन में अड़े आप है
मैं ये बोला के हजरत बड़े आप है
क्यों मेरे दिल के पीछे पड़े आप है,
चोट चितवन की चित पर चलाने लगे
क्या कहे रंग क्या क्या दिखाने लगे,

इक दिन आप आये तो इस तोर से दर्दे दिल बने उठे
दर्दे दिल बन के दिल में उठे जोर से
मैंने देखा उन्हें जब बड़े गोर से
भागने फिर न पाए किसी और से
बन गए बिंदु आँखों से जाने लगे
क्या कहे रंग क्या क्या दिखाने लगे,,,,,,,,

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