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जब वीर शिवाजी लाए सिंहनी का दूध

जब वीर शिवाजी लाए सिंहनी का दूध
                                                         जब वीर शिवाजी लाए सिंहनी का दूध

समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक स्‍नेह छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि उन्हें शिवाजी से उनके राजा होने के कारण ही अधिक प्रेम है। समर्थ ने शिष्यों का भ्रम दूर करने के बार में विचार किया।

एक दिन वे शिवाजी सहित अपनी शिष्य मंडली के साथ जंगल से जा रहे थे। रात्रि होने पर उन्‍होंने समीप की एक गुफा में जाकर डेरा डाला। सभी वहां लेट गए, किंतु थोड़ी ही देर में रामदास स्वामी के कराहने की आवाजें आने लगीं। शिष्यों ने कराहने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है।

अन्य शिष्य चुप रहे पर शिवाजी ने कहा कि क्या इस दर्द को दूर करने की कोई दवा है। गुरुजी बोले, एक मात्र सिंहनी का दूध ही मेरे पेट के दर्द को दूर कर सकता है।

शिवाजी ने सुना, तो गुरुदेव का तुम्बा उठाकर सिंहनी की खोज में निकल पड़े। कुछ ही देर में उन्हें एक गुफा और एक सिंहनी की गर्जना सुनाई दी। वे वहां गए, तो देखा कि एक सिंहनी शावकों को दूध पिला रही थी।

शिवाजी उस सिंहनी के पास गए, और उन्होंने कहा कि मां मैं तुम्हें मारने या तुम्हारे इन छोटे-छोटे शावकों को लेने नहीं आया हूं। मेरे गुरुदेव अस्वस्थ हैं और उन्हें तुम्हारे दूध की आवश्यकता है। उनके स्वस्थ होने पर यदि तुम चाहो तो मुझे खा सकती हो।

सिंहनी शिवाजी के पैरों को चाटने लगी। तब शिवाजी ने सिंहनी का दूध निचोड़ कर तुम्बा भर लिया और प्रणाम कर वह स्वामी जी के पास पहुंचे।

सिंहनी का दूध लाया देख समर्थ बोले, धन्य हो शिवा। आखिर तुम सिंहनी का दूध ले ही आए। उन्होंने अफने और शिष्यों से कहा कि मैं तो तुम सभी की परीक्षा ले रहा था।

पेट दर्द तो एक बहाना था। गुरुजी ने शिवाजी से कहा कि अगर तुम जैसा शूरवीर शिष्य मेरे साथ हो तो मुझे कोई विपदा नहीं छू सकती।

In English

Samarth Guru Ramdas Swamy used to do the most affection in his disciples with Chhatrapati Shivaji Maharaj. The disciples thought that they had more love because of Shivaji being their king. Samartha considered the disciples to remove the illusions.

One day, he was going out of the jungle with Shivaji, along with his disciple group. On the night of night, they camped in a nearby cave and camped. All were lying there, but in a short while the voices of Ramdas Swami started to moan. The disciples asked the reason for whining, they said that there is a pain in my stomach.

Other students remained silent but Shivaji said that is there any medicine to remove this pain. Guruji said, only a lion’s milk can remove the pain of my stomach.

When Shivaji heard it, he picked up Tumba of Gurudev and went out in search of the lioness. In a short while, they heard the roar of a cave and a lioness. They went there, saw that a lion was feeding the cubs to the milk.

Shivaji went to the lioness, and he said that mother, I have not come to kill you or to take you these small cubs. My guru is unwell and he needs your milk. If you are healthy you can eat me if you wish.

Lioness started licking Shivaji’s feet. Then Shivaji squeezed the milk of lion and filled it with tumblr and bowed down to Swami Ji.

Seeing a lioness’s milk, he said, ‘Blessed be Shiva.’ After all, you bring the lioness’s milk. He told the protesters and the disciples that I was taking the test of all of you.

Stomach pain was then an excuse. Guruji told Shivaji that if a brave disciple like you is with me, then I can not touch any disaster.

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