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जानकीदास मेहरा की कहानी

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1 हज़ार फ़िल्मों में किया काम और साइकिलिंग में बने वर्ल्ड चैंपियन

(Who is Jankidas Mehra)– 1947 के पहले भारत और पाकिस्तान एक हुआ करता था. उस दौरान कई दिगज्जों का जन्म हुआ, जिन्होंने देश में बदलाव लाने की कोशिश की थी. जिसमें से कुछ लोगों का सहयोग हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री से भी जुड़ा था. उनमे से एक नाम ‘जानकीदास मेहरा’ का भी था. जिनकी पारखी नज़र ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्रियों को आगे आने का मौका दिया. भारत के पहले ऐसे शख़्स थे. जिन्होंने ‘साइकिलिंग’ जैसे खेल को बढ़ावा दिया था. और भारत में ‘साइकिलिंग’ जैसे स्पोर्ट और हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री को एक नई पहचान देने वाले ‘जानकीदास मेहरा’ हैं.

जानकीदास का जन्म 1 जनवरी 1910 में लाहौर (ब्रिटिश भारत) में हुआ था. जो पेशे से एक्टर, साइकिलिस्ट और प्रोडक्शन डिज़ाइनर थे. उस दौरान भारत में ऐसे बहुत से स्पोर्ट्स थे. जिनकी पॉपुलैरिटी काफ़ी कम हुआ करती थी. उस दौरान सिर्फ़ लोग काम पर जाते थे और महिलाएं घर का कामकाज संभालती थी.

6 दशक में 1000 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है.

जानकीदास ने फ़िल्मों में डेब्यू निर्देशक मोती बी. गिडवानी की फ़िल्म ‘खज़ांची’ से की थी. 1941 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म की शूटिंग लाहौर (पाकिस्तान) में हुई थी. ये मर्डर मिस्ट्री फ़िल्म भारत और पाकिस्तान की आज़ादी से पहले की सुपरहिट फ़िल्म थी. जिसके बाद उनकी क़िस्मत सातवें आसमान पर पहुंच गयी थी. जानकीदास ने 6 दशक में 1000 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था

हिंदी सिनेमा की कई अभिनेत्रियों को भी पहचान जानकीदास ने ही दी थी

जानकीदास सिर्फ़ एक्टिंग तक ही सीमित नहीं थे. उन्हें हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में लोग भारत के पहले ‘प्रोडक्शन डिज़ाइनर’ के नाम से भी पहचानने लगे थे. प्रोडक्शन डिज़ाइनर के पद पर होने पर उन्होंने हिंदी सिनेमा के कई अभिनेता और अभिनेत्रियों को एक नई पहचान दी थी. उनकी पारखी नज़रों ने अभिनेत्री मधुबाला को सोहराब मोदी की फ़िल्म ‘दौलत‘, मीना कुमारी को नानूभाई भट्ट की फ़िल्म ‘हमारा घर‘ और माला सिन्हा को किशोर साहू के विलियम शेक्सपीयर ड्रामा ‘हैमलेट‘ को फिल्मों में काम करने का मौका दिया था.

साइकिलिंग थी उनकी पहली पसंद!

उनका करियर फ़िल्मों में काफ़ी अच्छा चल रहा था. लेकिन साइकिलिंग उनका बचपन का ख़्वाब था. उस दौरान साइकिलिंग करने का चलन बहुत ही कम था. जानकीदास भारत के पहले ऐसे इंसान थे, जो साइकिलिंग को भारत में आगे लेकर आए थे. जिन्हें पूरी दुनिया से वाहवाही मिली थी

भारत के इकलौते भारतीय जिन्होंने साइकिलिंग का रिकॉर्ड तोड़ा.

जानकीदास भारत के इकलौते ऐसे भारतीय थे, जिन्होंने 1932-1942 के समय में वर्ल्ड रिकॉर्ड ब्रेक किया था. साथ ही वो भारत के इकलौते भारतीय थे, जो 1936 Berlin Games के International Olympic Committee पैनल के हिस्सा थे. अपने इस साइकिलिंग के जोश के चलते वो विश्व भर में काफ़ी फ़ेमस हो गए थे. जिसके बाद उन्होंने Sohrab H. Bhoot के साथ मिलकर भारत में National Cyclists Federation Of India की स्थापना की थी.

उनकी महात्मा गांधी से मुलाकात ने बहुत सी चीज़ें बदल दी थी.

1942 में जानकीदास की मुलाक़ात महात्मा गांधी से World Sports Congress में हुई थी. तब गांधी जी ने उनसे आज़ाद भारत का सपना शेयर किया था और उनके सामने राष्ट्रवादी आंदोलन के संगठन से जुड़ने का प्रस्ताव रख दिया था. जिसके बाद जानकीदास ने Indian freedom movement में बहुत सहयोग दिया. जानकीदास मेहरा का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज़ है. जिन्होंने भारत को नई पहचान दी थी

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