एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं
बहुत सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे तक्षक नाग के काटने से परीक्षित की मृत्यु हो जाती है।
जब राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय (पांडव वंश के आखिरी राजा) को पता चलता है की साँपों के राजा, तक्षक नाग के काटने से उनके पिता की मृत्यु हुई है तो वे प्रतिशोध लेने का निश्चय करते हैं। जनमेजय सर्प मेघ यज्ञ का आहवाहन करते हैं, जिससे समस्त पृथ्वी के साँप एक के बाद एक हवन कुंड में आ कर गिरने लगते हैं।
सर्प जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ता देख तक्षक नाग सूर्य देव के रथ में जा लिपटता है। अब अगर तक्षक नाग हवन कुंड में जाता तो उसके साथ सूर्य देव को भी हवन कुंड में जाना पड़ता। और इस दुर्घटना से सृष्टि की गति थम जाति। पिता की मृत्यु का बदला लेने की चाह में जनमेजय समस्त सर्प जाति का विनाश करने पर तुला था इसलिए देवगण उन्हे यज्ञ रोकने की सलाह देते हैं पर वह नहीं मानते। अंत में अस्तिका मुनि के हस्तक्षेप से जनमेजय अपना महा विनाशक यज्ञ रोक देते हैं।
सार- बुरे कर्म का बुरा फल मिलना अटल है। नियति को कोई टाल नहीं सकता।
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Once the king disrespects any ascetic sage. If the sage is angry, they curse death by a snake bite.
Regardless of having very precautions, according to the sage Vani, one day, the death of a cage snake hidden in the basket of flowers in the form of insects disappears.
When Janmazaya (the last king of the Pandav dynasty), son of King Parikshit, realizes that his father has died due to snake bite, King of snakes, he decides to take revenge. dangersnake cloud invites yagya, causing all the earth’s snakes to fall into one havan kund and fall apart.
Seeing the existence of serpent caste in danger, the cathartic serpent rushes into the chariot of the sun god. Now if Takshak Naga goes into Hawan Kund, then Sun Dev has to go into the Havan Kund along with it. And the speed of creation from this accident was the first race. In order to seek revenge for the father’s death, Jainamayya was able to destroy all the serpent caste, so the Devgan advises to stop sacrifice, but he does not believe. At the end, by the intervention of Astika Muni, Jainamayya stops his Maha Dushaksh Yagna.
Sadh – The bad result of bad karma is unfulfilled. Nobody can avoiding destiny