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जिस पे तू रंग अपना चढ़ा दे


उस पर रंग फिर दूसरा ना चढ़ता,
जिस पे तू रंग अपना चढ़ा दे,
जिसको सर पे है तूने चढ़ाया,
किस की ओकात उसको गिरा दे,
उस पर रंग फिर दूसरा ना चढ़ता,
जिस पे तू रंग अपना चढ़ा दे|

कर ले तूफान कितनी भी कोशिश,
रास्ता रोक सकता नहीं है,
धोखा देकर दुश्मन ने ख़ंजर,
पीठ पर भौंक सकता नहीं है,
मौत की भी नहीं इतनी हिम्मत,
वक़्त से पहले उसको मिटा दे|

रंग खुशियों के सारे वहाँ पर,
साँवरा है हमारा जहाँ पर,
प्रेम की बगिया महकेगी हरपल,
मेरा प्रीतम है बैठा जहाँ पर,
इसके आँचल में जो तू रौशन,
नहीं जरूरत हवा में बुझा दे|

छल कपट से वो रखता है दूरी,
प्रेम की भाषा ये जानता है,
प्रेम करता ये जिन प्रेमियों से,
उन सभी को ये पहचानता है,
उसको कर दे दीवाना साँवरिया,
एक झलक सांवरी जो दिखा दे|

प्यारे मैं जानता हूँ ये बेहतर,
जब छलकती तेरी प्रेम पायल,
प्रीत में तेरी होकर के घायल,
झूमता नाचता है ये पागल,
डर निकल जाता है दिल से सारा,
बेधड़क श्याम जिनको बना दे||

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