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काली कर ढाली राधा यमुना के जल को


श्री कृष्ण की बिरहन बन के राधा है इतना रोई
ये सारा जग केहता है रोया है इतना न कोई
आंसुओ से धोये जो काजल को
काली कर ढाली राधा यमुना के जल को

सुध बुध खोई राधा प्रेम दीवानी दर दर विरेह में भटके मेहलो की रानी
सेह न पाई जुदाई के पल को
काली कर ढाली राधा यमुना के जल को

अंतिम सांस है अटकी मिलने की आस में
रो पड़े है कान्हा आके राधा के पास में
देवता भी देख रहे प्रेम मिलन को
काली कर ढाली राधा यमुना के जल को

राधा चली गई जब कन्हिया को छोड़ के
मुरलियां धर बंसुरिया अपनी फेंक दिए तोड़ कर,
टूटी बाँसुरिया देखे सुनी पायल को
काली कर ढाली राधा यमुना के जल को……….

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