सुन यशोदा माँ यशोदा,
तेरो बिगड़ गयो नन्द लाल कहियो रे यशोदा ने,
कंकर मार के मटकी फोडे,
पकड़ के मोरी ऊँगली मरोड़े वो डाले रे वो प्रेम का जाल
कहियो रे यशोदा ने……
समजाने से बाज न आये
हम न्हाहे यो वस्त्र चुराए जा बैठे पेड़ की डाल,
कहियो रे यशोदा ने,
हम क्या डांटे है बडो छोटो
काम करे सब से छोटो जाने है सारे ग्वाल बाल
कहियो रे यशोदा ने,
सच पूछे तो श्याम के डर से हम न निकले अपने घर से,
पूछो न समल सिंह हाल
कहियो रे यशोदा ने…………