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काला या सफ़ेद

Kala Ya Safed Khani

मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी

“क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ” , मास्टर जी ने पूछा।

राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है।

अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही।

और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करने लगे।

मास्टर जी ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा , ” एक मिनट तुम दोनों यहाँ मेरे पास आ जाओ। राहुल तुम डेस्क की बाईं और अमित तुम दाईं तरफ खड़े हो जाओ। “

इसके बाद मास्टर जी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और डेस्क के बीचो-बीच रख दी।

मास्टर जी : राहुल तुम बताओ , ये गेंद किस रंग की है।

राहुल : जी ये सफ़ेद रंग की है।

मास्टर जी : अमित तुम बताओ ये गेंद किस रंग की है ?

अमित : जी ये बिलकुल काली है।

दोनों ही अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंट थे की उनका जवाब सही है , और एक बार फिर वे गेंद के रंग को लेकर एक दुसरे से बहस करने लगे.

मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा , ” ठहरो , अब तुम दोनों अपने अपने स्थान बदल लो और फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?”

दोनों ने ऐसा ही किया , पर इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे।

राहुल ने गेंद का रंग काला तो अमित ने सफ़ेद बताया।

अब मास्टर जी गंभीर होते हुए बोले ,” बच्चों , ये गेंद दो रंगो से बनी है और जिस तरह यह एक जगह से देखने पे काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखती है उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग – अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ये ज़रूरी नहीं है की जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखे….. इसलिए अगर कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो ये ना सोचें की सामने वाला बिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने का प्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं। “


maastar jee klaas mein padha rahe the, tabhee peechhe se do bachchon ke aapas mein jhagada karane kee aavaaz aane lagee

“kya hua tum log is tarah jhagad kyon rahe ho? “, maastar jee ne poochha.

raahul: sar, amit apanee baat ko lekar ada hai aur meree sunane ko taiyaar hee nahin hai.

amit: nahin sar, raahul jo kah raha hai vo bilakul galat hai isalie usakee baat sunane se koee phaayada nahee.

aur aisa kah kar ve phir too-too main-main karane lage.

maastar jee ne unhen beech mein rokate hue kaha, “ek minat tum donon yahaan mere paas aa jao. raahul tum desk kee baeen aur amit tum daeen taraph khade ho jao. ”

isake baad maastar jee ne kavard se ek badee see gend nikaalee aur desk ke beecho-beech rakh dee.

maastar jee: raahul tum batao, ye gend kis rang kee hai.

raahul: jee ye safed rang kee hai.

maastar jee: amit tum batao ye gend kis rang kee hai?

amit: jee ye bilakul kaalee hai.

donon hee apane javaab ko lekar pooree tarah komphident the kee unaka javaab sahee hai, aur ek baar phir ve gend ke rang ko lekar ek dusare se bahas karane lage.

maastar jee ne unhen shaant karaate hue kaha, “thaharo, ab tum donon apane apane sthaan badal lo aur phir batao kee gend kis rang kee hai?”

 

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