कनक अंगनवां फिरत कन्हैया,
मधुरी बोल कछु सीखत मोहन,
कहन लागे अब मैया मैया,
कनक अंगनवां फिरत——-
नन्द महर सों बाबा बाबा,
बलदाऊ सों भैया भैया,
कनक अंगनवां फिरत——–
अधर बीच दंतुल मन मोहत,
नन्द यशोदा लेत बलैया,
कनक अंगनवां फिरत——–
ग्वालबाल सजि धजि संग गोपिन
धूम मचावत बजत बधैया,
कनक अंगनवां फिरत———
ओ सांवरिया ले ले मोल,तने सेवक नित उठ चाहे,
तने सेवक नित उठ चाहे…..
ये दुनिया का नर नारी,सब आया सरन तिहारी,
ओ थारे भगता रो रमझोल,
तने सेवक नित उठ चाहे…..
में खुसी खुसी बिक जास्यूं,थारा कहया कहया हुकम बजासु,
चाए करले पेला क़ौल,
तने सेवक नित उठ चाहे…..
में नाज डेढपा खास्यु ,जमे भी भोग लगास्यूँ
चाए दिए तराजू तोल,
तने सेवक नित उठ चाहे…..
जगदीश दास जद अड़सी ,थाने ही आनो पड़सी,
थे घनी चलाई पोल
तने सेवक नित उठ चाहे…………..