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कान्हा आओगे की आऊं तेरे देश में


याद में तेरे जिन्दगी बिताऊ दिन कट ते है कलेश में
कान्हा आओगे की आऊं तेरे देश में

शाम सवेरे नाम रटू तेरा और करू तेरी पूजा
तू ही मेरा एक सहारा और कोई न दूजा रोम रोम में तुम ही समाये,


तुम ही मेरे उपदेश में
कान्हा आओगे की आऊं तेरे देश में

दर्श को तरसे नैना मेरे कैसे हाल सुनाऊ
तुम हो मोहन अंतर यामी तुम को क्या बतलाऊ


एक पल भी मुझे चैन न मिलता
आ जाओ किस भेस में
कान्हा आओगे की आऊं तेरे देश में………..

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