कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,
कर्मा ध्रुव तूने नरसी तारे
भगत अजामिल पार उतारे तेरे दर्श को तरसे नैना क्यों न दर्श दिखाए,
कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,
तेरी खातिर सब कुछ छोड़ा अपनों से मैंने नाता तोडा,
गली गली बस तुम्हे पुकारू तू और बता क्या चाहे
कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,
ताने सुने मैं सही रुसवाई तू क्या जाने ओ रे कन्हाई,
कहा छुपा सब देख रहा क्या रास तुझे यही आये
कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,
प्रीत बुला बेठी दुनिया की तुम संग प्रीत लगा के ,
छोड़ दे पर्दा सामने आजा पल पल क्यों अजमाए
कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,
इक झलक दिखला दे संवारे नैनं प्यास बूजा दे संवारे
आजाओ अब देर करो न ये जीवन बीता जाए
कान्हा बस इतना बता दे क्यों मुझको तरसाए,,,,,