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कान्हा जो तू मुस्काया

कान्हा जो तू मुस्काया जो हसना सिखाया मुरजाई कलि खिल गई
खाटू में तेरे जो आये कलाई पकडाए तुम्हारी लाडली श्याम|

कैसे भूल पाऊगीमैं बाबा हरी जो तुमने विरानिया,
भूल चली बाबा मैं अपनी हां दुखो की कहानिया
सुन मेरे प्यारे कान्हा तू साथ निभाना
मैं बन गई आप की|

बन गया साथ जन्मो का मिले जो दुनिया मुझे नइ
नाम जो कान्हा से जोड़ा नए रिश्तो से बन गई
मेरे श्याम जी पिता है बाबा जी देवता है छवि कृष्ण मित्र की|

लिख दिया भजन पूनम ने पुरे दिल से सुना रही
हाथ थाम लो तुम कन्हिया तेरे दर पे मैं आ गई
प्यार जो तूने लुटाया गले से लगाया मैं बन गई आप की,,,,,,,,,,,,,,

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