रिम झिम बारिश बरसे मन मधुर मिल्न को तरसे
तेरा कब से करू मैं इंतज़ार आजा ओ
कान्हा मधुवन में मिलने इक वार आ जाओ
पुरवा पवन प्यास मन में जगाए
आ जाओ कान्हा याद तेरी सताए
दिल को आवे चैना तेरी राह निहारे नैना
मैं तो कब से हुई हु बेकार आजाओ
कान्हा मधुवन में मिलने इक वार आ जाओ
सज के सवर के खड़ी हु तेरी आस में
तू ही वसा कान्हा राधा के सास में
मन मोहन मुरली वाला कैसा जादू कर डाला,
प्यारी राधा को देने दीदार अ जाओ
कान्हा मधुवन में मिलने इक वार आ जाओ……