कान्हा मेरे कान्हा मेरे घर आना माखन और मिश्री का भोग लगा जाना
ओ संवारे …
कान्हा संग राधिका को लाना,
मोर मुकट बाँध के तुम बांसुरी बजाना संवारे
बंसी बजैयाँ धेनु चरियां रास रचियाँ कृष्ण कन्हियाँ
ओ छलिया मेरे नाग नथियाँ ढोल मंजीरा झांज तुम भ्जाना
ओ संवारे …
मिरदंग तुम बजाना ओ संवारे …
संग ग्वाल बाल लाना गोपियों संग आके प्रभु रास तुम रचाना,
ओ संवारे …
नैना प्रेम में दीवानी साँची तेरी प्रीत कान्हा जग से हु बेगानी ओ संवारे…………..,
वे श्यामा तेरे दरश दी मारी,
मैं जोगन हो गईया,
वे श्यामा छड के दुनिया सारी,
मैं तेरी हो गईया,
हाथ कड़ताला पैरी झन्जर,
मैं हो गयी फकरा दे वांगर,
वे श्यामा छड के चार दवारी,
मैं बाहर खलो गईया,
वे श्यामा…….
तेरे प्यार विच सुध बुध खोई,
शरमा वाली लाके लोई ,
वे श्यामा लगया रोग अवला,
मैं रोगन हो गईया,
वे श्यामा…….
तेरे दर ते अलख जगाई,
तू ना खैर दरश दी पाई,
वे श्यामा लोकी मैनू कहन्दे,
मैं पागल हो गईया,
वे श्यामा……………….