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कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले


कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले
मुरली वाले मुझको भी सेवा में लगा ले
चरणों में अपने बिठा ले बिठा ले
कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले

ये तन मन धन और ये जीवन सब कुछ मोहन तुझको अर्पण
थाम ले मेरी बाह कन्हियाँ शरण में रखले ओ मन मोहन
वनवारी मुझको अपना ले अपना ले
कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले

राह निहारु पलक बिछाए नाम पुकारू आस लगाये,
मिलन हो आत्मा परमात्मा का बंद कटी दुरी मिट जाए,
आ जाना मुझको बुला ले
कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले

निधि वन मधुवन और वृंदावन कुञ्ज गली और कानन कानन
बन कर छाया संग संग डोलू
तुझ पल बीते हर पल हर छन,
बांसुरियां अपनी बना ले बना ले
कान्हा मेरे मुझको भी सेवा में लगा ले…………

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