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कान्हा आयो रे आयो रे कान्हा आयो रे

रंग रसिया म्हारो साजना
आयो रे आयो रे म्हारे देस

कान्हा आयो रे आयो रे कान्हा आयो रे
कान्हा आयो आयो आयो कान्हा आयो रे

गोकुल की गलियों में रंग बरसाने आयो रे
कान्हा आयो रे ………………

मैं साँची कहूं साँची मैं साँची कहूं रे
सबको लुभाने सबको रिझाने छैल छबीलो आयो रे
कान्हा आयो रे ………………

राधा संग विराजे वन ढोल मृदंग भी बाजे
मुरली की धुन लागे मधुर मन भायो  रे
कान्हा आयो रे ………………

गोपी के गोपाल कृष्ण है गउवों के प्रतिपाल कृष्ण हैं
महारास की मस्त बहारें लेके आयो रे
कान्हा आयो रे ………………

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