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कन्हैया की याद आ गई


कन्हैया की याद आ गई,
दिल करे मिलने को,
लागे ना कहीं मन, मन रे चल वृन्दावन,
कन्हैया की याद आ गई,
दिल करे मिलने को…….

सारी रात मेरी अँखियों में नींद नहीं आई,
याद जो तेरी आए तो काटे कटी ना तन्हाई,  
सारी रेन मैं जागा दिन हुआ निकलने को,
लागे ना कहीं मन, मन रे चल वृन्दावन…..

अपने दीवाने को तू इतना क्यों है तड़पाता,
हाल पे मेरे ज़रा भी तुझको तरस नहीं आता,
आँख में आंसू हुए देख अब छलकने को,
लागे ना कहीं मन, मन रे चल वृन्दावन…..

ओ छल बलिया तूने छल से छला मुझे ऐसे,
लचक यूँ तड़पे तड़पे मछली बिन पानी जैसे,
मैं ही मिला क्या तुझे इस तरह से छलने को,
लागे ना कहीं मन, मन रे चल वृन्दावन,
कन्हैया की याद आ गई,
दिल करे मिलने को,
लागे ना कहीं मन, मन रे चल वृन्दावन…..

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