कन्हैया कन्हैया तू रहता किधर है
कहाँ गोप ग्वाले वो राधा किधर है
कन्हैया कन्हैया……………..
वो चलना मचलना वो माखन चुराना
तेरा खूब आँखों से जादू चलाना
जो सबको नचाती थी वो बंसी किधर है
कन्हैया कन्हैया……………..
कहाँ नन्द बाबा वो दाऊ कहाँ है
मिला दे वो मैया यशोदा कहाँ है
जहाँ रास खेले था वो मधुबन किधर है
कन्हैया कन्हैया……………..
सखा वो सुदामा वो अर्जुन कन्हैया
चला आ तू सामने मैं ले लूँ बलैयां
ना तड़पा रे लेहरी आजा आजा किधर है
कन्हैया कन्हैया……………..,
कृष्ण काला मैया री तेरा मुरली वाला
एह री माखन दही वो मेरा चुराता राहा
खड़ा दूर से अंगूठा मुझे दिखाता रहा,
कृष्ण काला मैया री तेरा मुरली वाला
मोर मुकट पिताम्भर वाला गाना गौ चरावे था,
मेरी बहियाँ मरोड़ फोड़ मेरी मटकी यमना बीच गिरावेगा
ऐ री आँखे दिखा कर मुझको डरता रहा,
खड़ा दूर से अंगूठा मुझे दिखाता रहा,
एह री हम गुजर तमे हीर यशोदा खूब तबाही हो जाए गई
अपने कान्हा ने समजा ले न काल लड़ाई हो जाए गी
मैं रोटी रही वो मुस्कुराता रहा
खड़ा दूर से अंगूठा मुझे दिखाता रहा,
तेरी आगा घेर खड़ा हो जा मने बहुत घना समजाया जी,
हाथ जोड़ के बहुत कही पर कान्हा बाज ना आया जी
ऐ री यमुना में झझरी मेरी गिराता रहा
खड़ा दूर से अंगूठा मुझे दिखाता रहा,
ऐ री नन्द नंदन नन्द लाल कन्हियाँ बंसी बा भजावे गा
संजे मुकेश को रतन बार की कान्हा की कथा सुनावे था
एह री मुरली की तान हमे सुनाता रहा,
खड़ा दूर से अंगूठा मुझे दिखाता रहा,