एक बार कुछ किसान फसल बोने की तैयारी हेतु खेत की जुताई करने गए। जुताई शुरू करने के पहले ही आकाश में चारों ओर काले बादल छा गए। किसानों ने खेतों में हल चलाना प्रारम्भ ही किया था कि बादलों ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा- “ए किसानों, हल चलाना बंद करो और अपने अपने घरों को वापस लौट जाओ। अब बारिश नहीं होगी।”
किसानों ने बादलों से पूछा- ” क्यों, इस नाराजगी की वजह क्या है? बारिश क्यों नहीं होगी। हमसे क्या गलती हो गयी?
बादलों ने कहा- ” बस हम नहीं बरसेंगे।”
किसानों ने बादलों से बहुत आग्रह किया, प्रार्थना की। किन्तु बादल टस से मस नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अगले बारह वर्षों तक बरसात नहीं होगी।
किसानों ने फिर भी पूरा परिश्रम किया। खेतों की जुताई की और पूरी लगन से बीज बोए। लेकिन जैसा कि बादलों ने कहा था उस साल बारिश नहीं हुई। सारे बीज सूख गए। फसल नहीं हुई।
अगले वर्ष फिर समय पर किसान हल और बैलों के साथ खेतों पर उपस्थित हुए। खेतों की जुताई करते समय फिर बादलों ने बारिश न होने की अपनी बात दुहरायी। लेकिन फिर भी किसानों ने पूरी मेहनत और लगन के साथ जुताई कर के बीज बोए।
लेकिन इस बार भी बादलों के कहे अनुसार ही बारिश नहीं हुई। किसानों की पूरी मेहनत व्यर्थ हो गयी। लेकिन किसान फिर भी निराश नहीं हुए।
तीसरे वर्ष पुनः किसान जब खेतों में जुताई करने पहुंचे तो इस बार बादलों से रहा नही गया। वे कड़ककर बोले- “जब हमने कह दिया है कि अगले बारह वर्षों तक बारिश नहीं होगी। तो तुम यह व्यर्थ का श्रम क्यों करते हो? अपने घर जाओ।”
तब किसानों ने उत्तर दिया- “ आप बरसें या न बरसें, यह आपका अधिकार है। किंतु हम खेतों में हल चलाएंगे। बीज बोयेंगे। पूरी मेहनत करेंगे क्योंकि यह हमारा कर्म है। अगर हम हल नहीं चलाएंगे तो हमारे बच्चे हल चलाना, खेत तैयार करना, बीज बोना और श्रम करना भूल जाएंगे।
इस कर्म के माध्यम से हम अपने बच्चों में श्रम का संस्कार डालते हैं। जो आजीवन उनके काम आता है।”
किसानों के आत्मविश्वास, संकल्प और श्रम के प्रति श्रद्धा को देखकर बादल बहुत अभिभूत हुए। इस बार खूब बारिश हुई। चारों ओर फसल लहलहा उठी। किसानों का परिश्रम सफल हुआ।
मोरल ऑफ स्टोरी
मोरल स्टोरी-परिश्रम के संस्कार आज के समय में प्रासंगिक भी है और शिक्षाप्रद भी। जहां आज का युवावर्ग शॉर्टकट से सफलता प्राप्त करने के लिए लालायित रहता है। इस चक्कर में वह कई बार ठगी का शिकार भी हो जाता है। इन परिस्थितियों से बचने के लिए हमें युवावर्ग को परिश्रम का महत्व समझाना होगा और अपने बच्चों में परिश्रम का संस्कार डालना होगा |