गर्मी की तपतपाती धूप मे कुछ मजदूरों से एक बङे यंत्र को गाङी पर लदवाया जा रहा था, यंत्र काफी बड़ा व् भारी था, और मजदूरों के अथक परिश्रम करने के बावजूद भी यंत्र गाङी मे लादा नही जा पा रहा था। कुछ अधिकारी खङे होकर केवल मजदूरों को कोस रहे थे। और कुछ बता रहे थे, कि ऐसे नही ऐसे करो। पर कोई भी अधिकारी उनके साथ मिलकर यंत्र को लदवाने मे सहयोग नही कर रहे थे।
तभी वहाँ एक घुङसवार और उसके कुछ साथी गुजरे, और उन मजदूरों को देखकर रुक गये।
घुड़सवार परिस्थिति को भाँप कर घोड़े से उतरा और उनकी मदद करने के लिए आगे बढ़ा और फिर घुङसवार के उतरते ही उसके साथी भी उतरकर उस यंत्र को मजदूरों के साथ मिलकर लदवाने मे सहयोग करने लगे, सबकी मेहनत कामयाब हुयी और वो यंत्र गाङी मे लद गया, यंत्र को गाङी मे लदवाने के बाद उस घुङसवार ने वहाँ खङे अधिकारियों से कहाँ, कि अगर कोई और भारी यंत्र लदवाने मे परेशानी हो तो अपने देश के राष्ट्रपति को याद कर लेना।
ये बात जानकर कि मजदूरों के साथ यंत्र को लदवाने वाला कोई और नही उनके देश के राष्ट्रपति अब्राहम लिँकन थे, वे बहुत लज्जित हुए, और उन्होने लिंकन से माफी माँगी।
तब लिँकन ने उन्हें समझाते हुए कहा कि हर इंन्सान बराबर होता है, किसी मे कोई भेद नही। ठीक वैसे ही हमे कामों मे भी भेदभाव नही करना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति की सफलता उसके कर्मों से होती है, और छोटे कार्य ही मनुष्य को बङे कार्यों के प्रति प्रेरणा देकर मनोबल बढ़ाती हैं और मनुष्य को सफलता के साथ-साथ बड़ा बनाते हुए उसके व्यक्तित्व को निखारती है।
मै बचपन मे बढ़ई के काम को करने के पश्चात, दुकान चलाने के पश्चात अध्यन करके, किसी भी काम को छोटा न समझते हुए, मेहनत करके आज राष्ट्रपति के पद पर पहुँचा। जो व्यक्ति हर काम को समान समझकर हर काम को बिना संकोच के करता है, सफलता को मज़बूरन उसके कदम चुमने पङते है और सारी विपत्तियाँ झुककर उसे सफलता की राह दिखाते हैं। इतना कहकर अब्राहम लिंकन घोङे पर सवार होकर अपनी राह पर आगे बढ़ गए और सारे अधिकारी लज्जित होकर उन्हे देखते ही रह गये।