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कोई सुबह ना हो ऐसी


कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो,
होंठो पे श्याम मेरे,
जब तेरा नाम ना हो,
कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो।

उस रस्ते से मेरा,
क्या वास्ता कन्हैयाँ,
जिस रास्ते पे ना हो,
तेरी कृपा की छैयां,
क्यों जाउँ उस गली में,
जहाँ तेरा धाम ना हो,
कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो…..

मैं तेरी शरण में हूँ तो,
क़ीमत है लाख मेरी,
तू हाथ छोड़ दे तो,
मैं राख की हूँ ढेरी,
तुझसे बिछड़ के मेरा,
दो कोड़ी दाम ना हो,
कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो…..

रहने दे मुझको प्यारे,
तेरे नाम के नशे में,
यूँ ही गुज़र रहा है,
जीवन मेरा मजे में,
किसी दूसरे नशे का,
ये मन ग़ुलाम ना हो,
कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो।
होंठो पे श्याम मेरे,
जब तेरा नाम ना हो,
कोई सुबह ना हो ऐसी,
कोई ऐसी शाम ना हो……..

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