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कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल


कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल
अपनी वाणी में थोडा अमृत गोल
कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल

जन्म मरण सब उसकी माया
कण कण में बस वोही समाया,
याद कर उसे सचे मन से सुबह शाम जपना ये शब्द अनमोल
कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल

कितना दयालु है इश्वर तेरा दूर करेगा दुःख का अँधेरा
सुमिरन होगा कष्ट मिटेगा हरी को भज के भाग तू खोल
कृष्ण कृष्ण बोल हरी हरी बोल……………..


आजा कलयुग में ले के अवतार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द ॥

यमुना का पानी तोसे करता सवाल है,
तेरे बिना देख ज़रा कैसा बुरा हाल है ॥
काहे तूने तोड़ लिया प्यार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की………..

निकला है सवा मन सोना जिस कोख से,
गाएं बेचारी मरे चारे बिना भूख से ॥
गैया को दिया दुत्कार ओ गोविन्द ॥
तेरे भक्तो की सुनले पुकार ओ मोहन,
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द,

घर घर में माखन की जगह शराब है,
कलियुगी गोपियां तो बहुत ही ख़राब है ॥
धर्म तो बना व्यापार ओ मोहन ॥
अपने भक्तो की……….

अब किसी द्रोपदी की बचती ना लाज रे,
बिगड़ा जमाना भये उलटे ही काज रे ॥
कंसो की बनी सरकार ओ गोविन्द ॥
अपने भक्तो की…….

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