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कुव्वत-उल-इस्लाम-मस्जिद

Quwwat-ul-Islam Masjid Story

कुव्वत-उल-इस्लाम-मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। मस्जिद दिल्ली में कुतुबमीनार के नजदीक स्थित है। पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद ऐबक ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह भारत में निर्मित पहली तुर्क मस्जिद है। इस मस्जिद की सर्वोत्कृष्ट विशेषता उसका ‘मकसूरा’ एवं इसके साथ जुड़ा ‘किबला लिवान’ है। स्थापत्य कला की दृष्टि से यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव परिलक्षित होता है।

कुव्वत-उल-इस्लाम-मस्जिद के मुख्य बिन्दु (Facts of Quwwat-ul-Islam Masjid)

(1) कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली विजय के उपलक्ष्य में तथा इस्लाम धर्म को प्रतिष्ठित करने के उदेश्य से 1192 ई. में ‘कुत्ब’ अथवा ‘क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ का निर्माण कराया।
(2) 1230 ई. में इल्तुतमिश ने मस्जिद के प्रांगण को दुगुना कराया।
(3) 1192 ई. में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के हारने पर उसके क़िले ‘रायपिथौरा’ पर अधिकार कर वहाँ पर ‘क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद’ का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया।
(4) अलाउद्दीन ख़िलजी ने इस मस्जिद का विस्तार कराया तथा क़ुरान की आयतें लिखवाई।
(5) इतिहासकार जॉन मार्शल के अनुसार इस मस्जिद का निर्माण 27 निर्माणाधीन जैन मंदिरों के ध्वंसावशेष पर किया गया था।
(6) मस्जिद में लगी जाली, स्तम्भ एवं दरवाज़े मंदिरों के अवशेष थे।
(7) इस मस्जिद में सर्वप्रथम इस्लामी स्थापत्य कला की मज़बूती एवं सौन्दर्य जैसी विशेषताओं का उभारा गया है।
(8) मस्जिद 121 फुट लम्बे तथा 150 फुट चौड़े समकोणनुमा चबूतरे पर स्थित है।
(9) ‘इण्डो-इस्लामिक शैली’ में निर्मित स्थापत्य कला का यह पहला ऐसा उदाहरण है, जिसमें स्पष्ट हिन्दू प्रभाव दिखाई देता है।


 

Kuvvat-ul-islaam-masjid ka nirmaan kutubuddeen aibak ne karavaaya tha. masjid dillee mein kutubameenaar ke najadeek sthit hai. prthveeraaj chauhaan kee paraajay ke baad aibak ne is masjid ka nirmaan karavaaya tha. yah bhaarat mein nirmit pahalee turk masjid hai. is masjid kee sarvotkrsht visheshata usaka makasoora evan isake saath juda kibala livaan hai. sthaapaty kala kee drshti se yah pahala aisa udaaharan hai, jisamen spasht hindoo prabhaav parilakshit hota hai.

kuvvat-ul-islaam-masjid ke mukhy bindu (kuvvat-ul-islaam masjid ke tathyon)

(1) kutubuddeen aibak ne dillee vijay ke upalakshy mein tatha islaam dharm ko pratishthit karane ke udeshy se 1192 ee. mein kutb athava quvvat-ul-islaam masjid ka nirmaan karaaya.
(2) 1230 ee. mein iltutamish ne masjid ke praangan ko duguna karaaya.
(3) 1192 ee. mein tarain ke yuddh mein prthveeraaj chauhaan ke haarane par usake qile raayapithaura par adhikaar kar vahaan par quvvat-ul-islaam masjid ka nirmaan kutubuddeen aibak ne karavaaya.
(4) alauddeen khilajee ne is masjid ka vistaar karaaya tatha quraan kee aayaten likhavaee.
(5) itihaasakaar jon maarshal ke anusaar is masjid ka nirmaan 27 nirmaanaadheen jain mandiron ke dhvansaavashesh par kiya gaya tha.
(6) masjid mein lagee jaalee, stambh evan daravaaze mandiron ke avashesh the.
(7) is masjid mein sarvapratham islaamee sthaapaty kala kee mazabootee evan saundary jaisee visheshataon ka ubhaara gaya hai.
(8) masjid 121 phut lambe tatha 150 phut chaude samakonanuma chabootare par sthit hai.
(9) indo-islaamik shailee mein nirmit sthaapaty kala ka yah pahala aisa udaaharan hai, jisamen spasht

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