चीन के गांव में एक किसान था। उसका कहना था कि ईश्वर जो भी करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं। एक दिन उसका घोड़ा रस्सी तुड़ाकर जंगल की ओर भाग गया। इस पर उसके पड़ोसियों ने आकर दुख जताया। लेकिन किसान शांत रहा।
दो दिन बाद किसान का घोड़ा वापस आ गया और अपने साथ तीन जंगली घोड़े और लाया। लोगों ने आकर ख़ुशी प्रकट की। लेकिन किसान शांत रहा। दो दिन बाद उन्हीं में से एक जंगली घोड़े की सवारी करते समय उसका पुत्र गिर गया। उसकी एक टांग टूट गयी। पड़ोसियों ने फिर आकर अफसोस प्रकट किया। लेकिन किसान फिर भी शांत ही रहा।
अगले दिन राजा की सेना के लोग गांव आये और गांव के नौजवानों को जबरदस्ती सेना में भर्ती करने लगे। किसान का लड़का पैर टूट होने की वजह से बच गया।
हममें से कोई नहीं जानता कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा? इसलिए ईश्वर जो करते है, हमें उसे अपने लिए अच्छा ही मानना चाहिए।
Moral of Story- सीख
हमेशा ईश्वर के निर्णय को उदारतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए। वे कभी किसी का बुरा नहीं करते।