सालों पहले परियों की नगरी में लाल परी रहती थी। कुछ दिनों बाद महल में एक जश्न मनाने के लिए सब तैयार हो गईं। तभी किसी बात पर रानी परी ने लाल परी को महल से बाहर निकल जाने का आदेश दे दिया। इस बात से उदास होकर लाल परी महल से उड़कर धरती पर आकर एक बाग में छिप गई। उस बाग में बहुत सारे बच्चे खेल खेल रहे थे। लाल परी छिपकर उन बच्चों का खेल देखने लगी और उन बच्चों को हंसता-खेलता देखकर वह अपना दुख भी भूल गई।
तभी, बाग में खेल रही सोनी नाम की एक लड़की की नजर लाल परी के सुनहरे लाल पंखों पर पड़ गई। सोनी को लगा कि शायद यह कोई फल है और वह उसे लेने के लिए उसके पास चली गई। सोनी ने वहां पर जब लाल परी को देखा, तो वह चौंक गई और खुशी के मारे चिल्लाने लगी।
सोनी की चीख सुनकर बाग में खेल रहे सभी बच्चे भी उसके पास आ गए। सुंदर लाल परी ने लाल रंग के कपड़े पहने हुए थे। उसके पंख भी लाल थे और उसने चमकता हुआ लाल रंग का सिर पर ताज भी पहना हुआ था। सब बच्चों को देखकर लाल परी ने सबको अपना परिचय दिया। यह सुनते ही सारे बच्चे खुश हो गए और उछलकूद करने लगे।
बच्चों ने दादी से कहानी में सुना था कि लाल परी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है। इसी वजह से सारे बच्चे लाल परी को देखकर और खुश हो गए और अपनी इच्छाएं बताने लगें। तभी चिंटू की इच्छा सुनने के बाद लाल परी ने अपनी छड़ी घुमाई और चिंटू हवा की सैर करके वापस जमीन पर आ गया।
फिर लाल परी ने अपनी छड़ी घूमाई और एक रसीला ताजा आम सोनी के हाथों में आ गया। इसके बाद लाल परी ने फिर से अपनी छड़ी घुमाई और बाग के सभी फूल रोशनी से जगमगाने लगे। लाल परी के जादू देखकर सभी बच्चे बहुत खुश थे और लाल परी भी परी महल में चल रहे उत्सव और महल में न रहने का अपना दुख भूल गई थी।
इसके बाद जैसे ही फूलों का चमकना कम हुआ आसामन के सारे तारे चमकने लगे। फिर बच्चों ने लाल परी से विदा लिया और अपने-अपने घर जाने को तैयार हो गए। बच्चों के जाने के बाद लाल परी का मन फिर से उदास हो गया। लाल परी को उदास देखकर सोनी से रहा न गया, तो उसने उससे उसकी उदासी का कारण पूछ लिया।
लाल परी ने सोनी को रानी परी की सारी बात बता दी। यह सुनने के बाद सोनी ने कहा – “आपने कोई शरारती हरकत की होगी, तभी रानी परी ने ऐसी सजा दी है। मैं जब भी घर में शरारत करती हूं, तो मेरी मां भी मुझे कोई न कोई सजा दे देती हैं।”
सफाई देते हुए लाल परी ने कहा – “नहीं, मैंने कोई शरारत नहीं की थी।”
लाल परी की सफाई सुनकर मुस्कुराते हुए सोनी ने फिर से कहा – “कुछ तो शरारत की ही होगी!”
इतना सुनते ही लाल परी ने अपनी छड़ी और नजरें सोनी से चुरा लीं। नजरें नीची करते हुए लाल परी ने कहा – “हां, मैंने एक शरारत की थी! नोटू बौना सीढ़ी पर खड़ा होकर परी महल के सबसे ऊंची घडी की सफाई कर रहा था। मैंने सीढ़ी को हिला दिया था। डर के मारे वह घड़ी की सुई पकड़कर उसी पर लटक गया और परी महल के सबसे बड़ी घड़ी की सुई टूट गई।”
“उस घड़ी की सुई टूटने के कारण घड़ी रुक गई और परी लोक में सब रुक गया था। इसके बाद रानी परी ने अपनी जादू से सब कुछ ठीक किया और इसी वजह से गुस्सा होकर उन्होंने मुझे महल के बाहर भेज दिया। जबकि, इसमें मेरी कोई गलती नहीं, सारी गलती नोटू बौने की थी।”
लाल परी की बात सुनकर सोनी ने कहा – “मेरी मां कहती हैं कि अगर हम अंजान होकर कोई गलती करते हैं, तो उसके लिए माफ किया जा सकता है, लेकिन अगर जानबूझकर कोई गलती की जाए, तो उसके लिए सजा देनी चाहिए। तो अब आप ये बताओं कि क्या आपने उस सीढ़ी को जानबूझकर हिलाया था या गलती से??
लाल परी ने बहुत ही धीमी आवाज में कहा – “जानबूझकर। क्या अगर मैं अब रानी परी से अपनी इस गलती के लिए माफी मांगू, तो क्या वो मुझे माफ करेंगी??”
सोनी ने कहा – “हां बिल्कुल, मेरी मां ने यह भी बताया है कि अगर कोई कार्य सच्चे मन से किया जाए, तो वह जरूर सफल होता है।”
इसके बाद लाल परी ने सोनी से कहा कि वह उसकी तरफ से उसकी मां को धन्यवाद दे और अपनी जादूई छड़ी घुमाकर अगले ही पल में सोनी को उसके घर पहुंचा दिया।
सोनी की मां के विचारों को सुनने के बाद लाल परी ने अपने में ठान लिया कि अब वह परी लोक की सबसे अच्छी परी बनेगी। इसके बाद उसने अपने दोनों पंख फैलाए और आसामन की तरफ उड़ चली रानी परी से अपनी गलती के लिए माफी मांगने के लिए। फिर परीलोक पहुंचकर उसने सच्चे मन से अपनी गलती मानकर रानी परी से माफी मांगी और उन्होंने भी उसे माफ कर दिया।
कहानी से सीख
बेवजह किसी को परेशान नहीं करना चाहिए और अगर अपनी किसी गलती के लिए माफी मांगना चाहते हैं, तो उसके लिए सच्चे मन से मांफी मांग लेनी चाहिए। सच्चे मन से किया गया काम हमेशा अच्छा होता है।