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ली-ली का बदला

Li Li Ka Badla Story

बहुत  समय  पहले की  बात  है , चाइना के  किसी  गाँव  में  ली-ली   नाम  की  एक  लड़की  रहती  थी . शादी  के  बाद वो अपने   ससुराल पहुंची , उसके  परिवार  में  सिर्फ  वो  , उसका  पति   और   उसकी  सास  थीं   .

कुछ  दिनों  तक  सब  ठीक   चला  पर  महीना  बीतते -बीतते  ली-ली  और  उसकी  सास  में  खटपट   होने  लगी  .

दिन  बीतते  गए  … महीने  बीतते  गए , पर  सास -बहु  के  समबन्ध  सुधरने  की  बजाये  और  भी  बिगड़  गए . और  एक  दिन  जब  नौबत मार-पीट तक पहुचंह गयी  तो  ली-ली गुस्से में  अपने  मायके  चली  गयी.  उसने  निश्चय  किया  कि  वो  किसी  भी  तरह  अपनी  सास  से  बदला लेकर रहेगी , और इसी विचार के साथ  वो  गाँव  के  एक  वैद्य  के  पास  पहुंची .

“ वैद्य  जी , मैं  अपनी  सास  से  बहुत  परेशान  हूँ , मेरा  किया  कुछ  भी  उसे  अच्छा  नहीं   लगता , हर  काम  में  कमीं   निकालना  और ताने  मारना  उसका  स्वभाव  है  …मुझे  किसी  भी  तरह  उससे  छुटकारा  दिला  दीजिये बस ….” , ली-ली  ने  क्रोध में  अपनी  बात  कही .

वैद्य  बोले , “बेटी , चूँकि तुम्हारे  पिताजी   मेरे  अच्छे  मित्र  हैं , इसलिए  मैं  तुम्हारी  मदद  ज़रूर  करूँगा , पर  तुम्हे  एक  बात  का  ध्यान  रखना  होगा , मैं  जैसा  कहूँ  ठीक  वैसा  ही  करना, वर्ना मुसीबत में फंस जाओगी “

 ” मैं  बिलकुल  वैसा  ही  करुँगी।  “, ली -ली  बोली .

वैद्य  अन्दर  गए  और  कुछ  देर  बाद  जड़ी -बूटियों  का एक डिब्बा   लेकर  वापस  आये , और  ली -ली  को  थमाते  हुए  बोले – “ली -ली  , तुम  अपनी  सास  को  मारने  के  लिए  किसी  तेज  ज़हर  का  प्रयोग  नहीं  कर  सकती  , क्योंकि  उससे  तुम  पकड़ी  जाओगी …य़े  डिब्बा  लो , इसके  अन्दर  कुछ  दुर्लभ  जड़ी -बूटियाँ  हैं  जो  धीरे -धीरे  इंसान  के  अन्दर  ज़हर  पैदा  कर  देती  हैं  और   7-8 महीने  में  उसकी  मौत  हो  जाती  है …अब  हर  रोज  तुम  अपनी  सास  के  लिए  कुछ  पकवान  बनाना  और  चुपके  से  इन्हें  उस  खाने  में  मिला  देना , और  ध्यान रहे इस  बीच  तुम्हे  अपनी  सास  से  अच्छी  तरह  से  पेश  आना  होगा  , उनकी  बात  माननी  होगी , ताकि  मौत  के  बाद   किसी  का  शक  तुम पर  ना  जाये  …ज़ाओ  अब  अपने  ससुराल  वापस  जाओ  और  अपनी  सास  के  साथ  अच्छे  से अच्छा व्यवहार  करो …”

ली -ली  ख़ुशी -ख़ुशी  जड़ी -बूटियाँ  लेकर  ससुराल  वापस  लौट  गयी . अब  उसका  व्यवहार  बिलकुल  बदल  चुका   था , अब  वो  अपने  सास  की  बात  मानने  लगी  थी , और  आये  दिन  उनके  लिए  स्वादिष्ट  व्यंजन  भी  बनाने  लगी  थी . और जब कभी उसे गुस्सा आता तो वैद्य जी की बात ध्यान में रखकर कर वो अपने गुस्से पर काबू कर लेती।  6 महीने  बीतते -बीतते  घर  का  माहौल  बिलकुल  बदल  चुका  था . जो  सास  पहले  बहु  की  बुराई   करते  नहीं  थकती  थी  वही  अब  घर -घर  घूम   कर  ली -ली  की  तारीफ़  करते  नहीं  थकती  थीं . ली -ली  भी अभिनय करते – करते  अब  सचमुच  बदल  चुकी  थी  , उसे  अपनी  सास  में  अपनी  माँ   नज़र  आने  लगी  थीं .

ली-ली को अब अपनी सास की मौत का भय सताने लगा और एक दिन वो किसी बहाने  से मायके  के  लिए  निकली  और  सीधे   वैद्य  जी  के  पास  पहुंची .

” वैद्य  जी , कृपया  मेरी  मदद  करिए , मैं  अब  अपनी  सास  को  नहीं  मारना चाहती  , वो  तो एकदम  बदल  गयी  हैं , और  मुझे  बहुत  प्यार  करने  लगी  हैं , मैं  भी  उन्हें उतना ही मानने  लगी  हूँ …कुछ   भी  कर  के  उस  ज़हर  का  असर  ख़त्म  कर  दीजिये ….” , ली -ली  रोते  हुए  बोली .

वैद्य  बोले , ” बेटी , चिंता  करने  की  कोई  ज़रुरत  नहीं  है , दरअसल  मैंने  तुम्हे  कभी  ज़हर  दिया  ही  नहीं  था , उस डिब्बे में  तो  बस स्वास्थ्य – वर्धक  जड़ी -बूटियाँ  थीं . ज़हर  तो  तुम्हारे  दिमाग  और  नज़रिए  में  था  , लेकिन  मैं खुश हूँ कि तुमने  अपनी  सास की जो सेवा की और उन्हें  जो  प्रेम  दिया  उससे  वो  भी  ख़त्म  हो  गया …, जाओ  अब  खुशहाली   से  अपने  सास  और  पति  के  साथ  जीवन  व्यतीत  करो .


 

bahut samay pahale kee baat hai, chaina ke kisee gaanv mein lee-lee naam kee ek ladakee rahatee thee. shaadee ke baad vo apane sasuraal pahunchee, usake parivaar mein sirph vo, usaka pati aur usakee saas theen.

kuchh dinon tak sab theek chala par maheena beetate -beetate lee-lee aur usakee saas mein khatapat hone lagee.

din beetate gae … maheene beetate gae, par saas -bahu ke samabandh sudharane kee bajaaye aur bhee bigad gae. aur ek din jab naubat maar-peet tak pahuchanh gayee to lee-lee gusse mein apane maayake chalee gayee. usane nishchay kiya ki vo kisee bhee tarah apanee saas se badala lekar rahegee, aur isee vichaar ke saath vo gaanv ke ek vaidy ke paas pahunchee.

“vaidy jee, main apanee saas se bahut pareshaan hoon, mera kiya kuchh bhee use achchha nahin lagata, har kaam mein kameen nikaalana aur taane maarana usaka svabhaav hai … mujhe kisee bhee tarah usase chhutakaara dila deejiye bas ….”, lee-lee ne krodh mein apanee baat kahee.

vaidy bole, “betee, choonki tumhaare pitaajee mere achchhe mitr hain, isalie main tumhaaree madad zaroor karoonga, par tumhe ek baat ka dhyaan rakhana hoga, main jaisa kahoon theek vaisa hee karana, varna museebat mein phans jaogee”

“main bilakul vaisa hee karungee. “, lee -lee bolee.
vaidy andar gae aur kuchh der baad jadee -bootiyon ka ek dibba lekar vaapas aaye, aur lee -lee ko thamaate hue bole – “lee -lee, tum apanee saas ko maarane ke lie kisee tej zahar ka prayog nahin kar sakatee, kyonki usase tum pakadee jaogee … ye dibba lo, isake andar kuchh durlabh jadee -bootiyaan hain jo dheere -dheere insaan ke andar zahar paida kar detee hain aur 7-8 maheene mein usakee maut ho jaatee hai … ab har roj tum apanee saas ke lie kuchh pakavaan banaana aur chupake se inhen us khaane mein mila dena, aur dhyaan rahe is beech tumhe apanee saas se achchhee tarah se pesh aana hoga, unakee baat maananee hogee, taaki maut ke baad kisee ka shak tum par na jaaye … zao ab apane sasuraal vaapas jao aur apanee saas ke saath achchhe se achchha vyavahaar karo … ”

lee -lee khushee -khushee jadee -bootiyaan lekar sasuraal vaapas laut gayee. ab usaka vyavahaar bilakul badal chuka tha, ab vo apane saas kee baat maanane lagee thee, aur aaye din unake lie svaadisht vyanjan bhee banaane lagee thee. aur jab kabhee use gussa aata to vaidy jee kee baat dhyaan mein rakhakar kar vo apane gusse par kaaboo kar letee. 6 maheene beetate -beetate ghar ka maahaul bilakul badal chuka tha. jo saas pahale bahu kee buraee karate nahin thakatee thee vahee ab ghar -ghar ghoom kar lee -lee kee taareef karate nahin thakatee theen. lee -lee bhee abhinay karate – karate ab sachamuch badal chukee thee, use apanee saas mein apanee maan nazar aane lagee theen.

lee-lee ko ab apanee saas kee maut ka bhay sataane laga aur ek din vo kisee bahaane se maayake ke lie nikalee aur seedhe vaidy jee ke paas pahunchee.

“vaidy jee, krpaya meree madad karie, main ab apanee saas ko nahin maarana chaahatee, vo to ekadam badal gayee hain, aur mujhe bahut pyaar karane lagee hain, main bhee unhen utana hee maanane lagee hoon … kuchh bhee kar ke us zahar ka asar khatm kar deejiye …. “, lee -lee rote hue bolee.

vaidy bole, “betee, chinta karane kee koee zarurat nahin hai, darasal mainne tumhe kabhee zahar diya hee nahin tha, us dibbe mein to bas svaasthy – vardhak jadee -bootiyaan theen. zahar to tumhaare dimaag aur nazarie mein tha, lekin main khush hoon ki tumane apanee saas kee jo seva kee aur

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