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भगवान श्री राम और केवट संवाद

जब केवट प्रभु के चरण धो चुका, तो भगवान कहते हैं:- भाई, अब तो गंगा पार करा दे।
इस पर केवट कहता है – प्रभु, नियम तो आपको पता ही है कि जो पहले आता है उसे पहले पार उतारा जाता है। इसलिए प्रभु अभी थोड़ा और रुकिये। तब भगवान् कहते हैं- भाई, यहाँ तो मेरे सिवा और कोई दिखायी नहीं देता। इस घाट पर तो केवल मैं ही हूँ। फिर पहले किसे पार लगाना है ? केवट बोला – प्रभु, अभी मेरे पूर्वज बैठे हुए हैं, जिनको पार लगाना है।
🌺🌺 केवट झट गंगा जी में उतरकर प्रभु के चरणामृत से अपने पूर्वजों का तर्पण करता है। धन्य है केवट जिसने अपना, अपने परिवार और सारे कुल का उद्धार करवाया। फिर भगवान् को नाव में बैठाता है, दूसरे किनारे तक ले जाने से पहले फिर घुमाकर वापस ले आता है।
🌺🌺 जब बार-बार केवट ऐसा करता है तो प्रभु पूछते हैं- भाई, बार-बार चक्कर क्यों लगवा रहे हो ? मुझे चक्कर आने लगे हैं। तब केवट कहता है – प्रभु, यही तो मैं भी कह रहा हूँ। ८४ लाख योनियों के चक्कर लगाते-लगाते मेरी बुद्धि भी चक्कर खाने लगी है, अब और चक्कर मत लगवाईये। गंगा पार पहुँचकर केवट प्रभु को दंडवत प्रणाम करता है। उसे दंडवत करते देख भगवान् को संकोच हुआ कि मैंने इसे कुछ दिया नहीं।
केवट उतरि दंडवत कीन्हा,
प्रभुहि सकुच एहि नहि कछु दीन्हा।
🌺🌺 कितना विचित्र दृश्य है, जहाँ देने वाले को संकोच हो रहा है और लेने वाला केवट उसकी भी विचित्र दशा है कहता है –
नाथ आजु मैं काह न पावा,
मिटे दोष दुःख दारिद्र दावा।
बहुत। काल मैं कीन्ही मजूरी,
आजु दीन्ह बिधि बनि भलि भूरी।।
🌺🌺 लेने वाला कहे बिना लिए ही कह रहा है कि “हे नाथ ! आज मैंने क्या नहीं पाया मेरे दोष दुःख और दरिद्रता सब मिट गये। आज विधाता ने बहुत अच्छी मजदूरी दे दी। आपकी कृपा से अब मुझे कुछ नहीं चाहिये।” भगवान् उसको सोने की अंगूठी देने लगते हैं तो केवट कहता है प्रभु उतराई कैसे ले सकता हूँ। हम दोनों एक ही बिरादरी के हैं और बिरादरी वाले से मजदूरी नहीं लिया करते।
दरजी, दरजी सेे न ले सिलाई,
धोबी, धोबी से न ले धुलाई।
नाई, नाई से न ले बाल कटाई,
फिर केवट, केवट से कैसे ले उतराई।।
🌺🌺 आप भी केवट, मैं भी केवट, अंतर इतना है कि हम नदी में इस पार से उस पार लगाते हैं, आप संसार सागर से पार लगाते हैं। हमने आपको पार लगा दिया, अब जब मेरी बारी आये तो आप मुझे पार लगा देना।
🌺🌺 प्रभु, आज तो सबसे बड़ा धनी मैं ही हूँ। क्योंकि वास्तव में धनी वो होता है, जिसके पास आपका नाम है, आपकी कृपा है। आज मेरे पास दोनों ही हैं। मैं ही सबसे बड़ा धनी हूँ।
🌹 जय श्री राम 🌹

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