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मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है


झलक बांके बिहारी की मेरे इस मन में बाई है
मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है,

तुम्हारे प्यार में बेहद याहा दुःख क्यों साहा मैंने
हमारी क्यों जमाने में अजब हालत बनाई है
मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है,

तुम्हारे नाम की माला को हम दिन रात जपते है ,
अनोखी चाहते लेकर तुम्हारी याद आई है,
मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है,

सुना है हम ने ये स्वामी दया निधि तुम को कहाते हो
तभी तकदीर भी मेरी मुझे इस दर पे लाई है,
मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है,

कभी शबरी कभी तुलसी कभी सूरा कभी मीरा,
सुदामा भक्त जैसो से बहुत यारी निभाई है
मधुर मुस्कान की महिमा मेरे होठो ने गाई है,,,,,,,,,,,,,,,,,

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