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जादुई गधा-Akbar Birbal Story

जादुई गधा-Akbar Birbal Story in Hindi. एक बार की बात है बादशाह अकबर ने अपनी महारानी को एक सुंदर सा सोने का हार दिया। वह सोने का हार बहुत ही कीमती था। जिसपर हीरे जवाहरात जड़े हुए थे। उस हार को देखकर महारानी बहुत ही ज्यादा खुश हुई और उन्हें बादशाह अकबर को खुश होकर धन्यवाद कहा। महारानी ने रात को वह हार पहन कर देखा और वह उसकी सुंदरता पर खुश होने लगी। महारानी को खुश देखकर बादशाह अकबर भी बहुत प्रसन्न हुए। महारानी ने रात होने के बाद वह हार उतार कर अपने कबट में रख दिया।

अगले दिन जब वह उठी तो वह हार वहां मौजूद नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपनी दासी को बुलाया और उससे पूछा कि वह हार कहां है? दासी ने कहा, “माफ करना महारानी यह हम नहीं जानते। आप एक बार वहां देखिए जहां पर आपने उस हार को रखा था।”

“मैंने सारी जगह देख ली है लेकिन मेरा हाल मुझे नहीं मिल रहा।” महारानी ने उस दासी से कहा। इस बात पर महारानी ने निर्णय लिया कि वह अब बादशाह अकबर के पास जाएगी और इस बात को उन्हे बताएंगी। वह तुरंत बादशाह अकबर के पास गई और उनसे कहने लगी, “जहाँपनाह आपने कल जो हार मुझे दिया था वह कमरे से गायब है मैंने उसे बहुत खोजा पर वह नहीं मिला।

महारानी की बात सुनने के बाद बादशाह ने सिपाही को बुलाया और उन्हें आदेश दिया कि उस हार को पूरे महल भर में खोजा जाए। हार को पूरे महल में खोजा गया लेकिन वह हार कहीं भी नहीं मिला। बादशाह अकबर सोच में पड़ गए कि वह हार महल से बाहर जा कैसे सकता है? तभी एक सिपाही उनके पास आया और उनसे बोला, “जहांपना महल में कुछ दिनों से चोरी हो रही है और शायद आप की महारानी का हार भी चोरी हो गया है।”

“क्या? महल में चोरी! ऐसा कैसे हो सकता है? आखिर किसकी हिम्मत है जो महल में चोरी करें?” बादशाह ने कहा।

बादशाह ने तुरंत बीरबल को बुलाने का आदेश दिया। बादशाह के आदेश पर बीरबल बादशाह के यहां पधारे और उन्होंने बादशाह से पूछा, “जहांपना क्या बात है जो आपने मुझे बुलाया?”

बीरबल के इस सवाल के पूछने के बाद बादशाह अकबर ने बीरबल को चोरी की सारी बात बताई। कुछ देर तक बीरबल सोचने लगे फिर उन्होंने बादशाह से कहा, “जहांपना बाहर का कोई भी आदमी यहां आकर चोरी नहीं कर सकता। इसीलिए मैं दावे से कह सकता हूं कि महल के अंदर का ही कोई व्यक्ति चोर है। जैसा कि हम जानते हैं कि चोरी महारानी के कमरे से हुई है। महारानी का कमरा बहुत ही सुरक्षित है और वहां बहुत सारे पहरेदार होते हैं। इसका मतलब यह है कि महारानी के कमरे के पास के सिपाही और उनकी दसियों में से ही कोई चोर है।”

बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर ने उनसे कहा, “बीरबल अगर ऐसी बात है मेरी आज्ञा है की तुम जाओ और अपनी कार्यवाही शुरू करो।”

“जहाँपना मुझे कुछ देर के लिए बाहर जाना होगा। मैं जाकर अपने एक दोस्त को लेकर आता हूं। इस मामले को हल करने में वह मेरी मदद करेगा। मैं आपकी आज्ञा चाहता हूं।” बीरबल ने बादशाह अकबर से आज्ञा मांगी।

बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि वह उनके दोस्त को बुलाने के लिए सिपाही भेज देंगे और उसे कार्यवाही करने को कहा। फिर बीरबल ने उनसे आग्रह किया, “नहीं जहांपना उसे लाने के लिए मुझे ही जाना पड़ेगा। वह मेरे अलावा किसी और के साथ नहीं आएगा।

“ठीक है फिर तुम जाओ और अपने दोस्त को लेकर आओ।” बादशाह अकबर ने कहा।

बीरबल महल से बाहर गए और अपने साथ एक गधे को लेकर आए। बीरबल के साथ गधे को देखकर बादशाह अकबर चौक गए और उनसे पूछा, “बीरबल यह कैसा मजाक है? तुमने तो मुझसे कहा था कि तुम अपने दोस्त को लाने जा रहे हो लेकिन तुमने तो अपने साथ एक गधा लाया है।”

“माफ करना जहाँपनाह यह मेरा दोस्त है और यह एक मामूली गधा नहीं है। यह गधा खास है क्योंकि इसके अंदर जादुई शक्तियां है। यह एक जादुई गधा है। इसकी मदद से हम पता लगा सकते हैं कि असली चोर कौन है?” बीरबल ने बादशाह अकबर को बताया।

इसके बाद महारानी के कक्ष के पास के सिपाहियों और दासियों को बुलाया गया। बीरबल ने गधे को पास के कमरे में सबकी आँखों से दूर रखा। ऐसा करने के बाद बीरबल ने सबसे कहा, “यह जो गधा है वह एक जादुई गधा है। आप में से जो भी अंदर जाएगा उसे गधे की पूछ को पकड़ना होगा। गधे की पूंछ को पकड़कर कहना होगा कि मैंने चोरी नहीं की है मैं निर्दोष हूं। हर एक पहरेदार और दासी को यह करना होगा।”

बीरबल के ऐसा कहने के बाद सारे सिपाही और दासियाँ एक-एक करके कमरे के अंदर गए। अंदर जाकर सबने वैसा ही किया जैसा बीरबल ने उनसे करने को कहा था। सभी के घर के अंदर जाते हैं और कहते, “मैंने चोरी नहीं की है मैं निर्दोष हूं।”

ऐसा हो जाने के बाद बीरबल ने सबके हाथ को सूंघकर देखा। अभी कल को पता चल चुका था कि असली चोर कौन है। बीरबल ने कहा, “जैसा मैंने कहा था कि चोर इनमें से ही कोई एक है और मैं सही था। बादशाह इनमें से चोर आपका यह सिपाही है।”

“बीरबल तुम ऐसा कैसे कह सकते हो कि यह सिपाही चोर है?” बादशाह अकबर ने पूछा।

बादशाह अकबर के इस सवाल के बाद बीरबल ने उन्हें बताया, “दरअसल बात यह है कि यह जो गधा है वह एक मामूली गधा है। जिसे मैंने पास के व्यापारी से लाया है। मैंने इसके पूंछ में एक खास तरह का इत्र डाला था। जो भी इसकी पुछ को छूता उसके हाथ में उस इत्र की सुगंध आ जाती। लेकिन इस सिपाही के हाथ से इत्र की सौगंध नहीं आ रही है। इसका मतलब यह है कि इस सिपाही ने गधे की पूंछ को नहीं छुआ था। उसने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि इस सिपाही को डर था कि ऐसा करने से वह पकड़ा जाएगा और इसीलिए इसने गधे की पूछ को नहीं पकडा।”

यह सब सुनने के बाद वह सिपाही बादशाह अकबर से माफी मांगने लगा ताकि वह उसको छोड़ दें। लेकिन बादशाह अकबर ने उसे माफी नहीं दी और उसे कैदखाने में डलवा दिया। इस तरह से बीरबल ने दिमाग का इस्तेमाल कर फिर से एक चोर को पकड़ लिया। 

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