महोब्बत हो गयी तुमसे साँवरे श्याम जाने क्यों
तेरी चर्चा तेरा चिंतन है आठो याम जाने क्यूँ
मिला जिससे मैं खाटू मैं तेरी धुन मैं वो दीवाना
बड़ा खुश हो रहा बनकर तेरी ज्योत का परवाना
तेरे भगतो में अलग मस्ती साँवरे श्याम जाने क्यूँ
जय श्याम श्री श्याम, जय श्याम श्री श्याम
धरा पे लाख है गुलशन लदी फूलो से हर डाली
बहुत ढूंढा है गुल तुझसे मगर लौटा हूँ मैं खाली
अलग खुशबू का मालिक तू साँवरे श्याम जाने क्यूँ
भरी रहती मेरी झोली ना जाने कब तू दे जाता
अलग अंदाज देने का ललित ये ना समझ पाता
जहाँ मैं हु वहाँ तुम हो साँवरे श्याम जाने क्यूँ……..