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मैं बरसाने की छोरी


मैं बरसाने की छोरी तू है गोकुल का ग्वाला
रास रचाये वृन्दावन में बुला रहे ब्रजबाला
आजा नन्द के लाला, आजा नन्द के लाला

तू बरसाने की छोरी मैं हूँ गोकुल का कान्हा
भरके मटकी माखन की तुम अपने घर से लाना
तभी आएंगे कान्हा, तभी आएंगे कान्हा

हम तो हो गए तोरी दीवानी तूने मोरी कदर ना जानी
तुमरे बिन दिल लगता ना तू मत करियो मनमानी
बन्सी की धून बजा के तूने कैसा जादू डाला

सब ग्वाल बाल आएंगे जी भरके माखन खाएंगे
करके पेट की पूजा हम फिर नाचे और गाएंगे
अपनी मीठी वाणी में तुम्हे गीत भी होगा गाना

सब शर्ते मंजूर है तोरी छोड़ भी दो अब जोरा जोरी
राह निहारेंगे सब मिलके चित्रा संग किशोरी
हर पल तेरा नाम पुकारे साँसों की ये माला

तुम बिन राधे श्याम अधूरा, वचन दिया हम करेंगे पूरा
आएंगे हम रास रचाने करेंगे खूब जहूरा
रंग लगाएंगे हम तो चले ना कोई बहाना  ………………….

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