प्रिय दोस्तों,
जब मैं छोटा था तो आजाद था । मेरी कल्पना की कोई सीमा नहीं थी। तब मैं दुनिया को बदलने का सपना देखता था।
जब मैं थोड़ा बड़ा और समझदार हुआ, तो मैं समझ गया कि दुनिया नहीं बदलने वाली, इसलिए मैंने अपने लक्ष्य को थोड़ा छोटा कर लिया और सिर्फ अपने देश को बदलने का फैसला किया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जब मैं बड़ा हो गया, तो मैनें हताशा में अंतिम कोशिश की, कि अपने परिवार को ही बदल लूं जो मेरे सबसे करीब है, लेकिन मेरे परिवार वाले भी बदलने को तैयार नहीं और अब, जब मैं मृत्युशैय्या पर लेटा हूं।
अचानक मुझे यह अहसास हुआ, अगर मैं सबसे पहले खुद को ही बदल लेता, तो मुझे देख कर मेरा परिवार भी बदल जाता।
हो सकता है उनकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से देश को बेहतर बना पाता। कौन जाने मैं शायद दुनिया को बदल देता।
In English
Dear friends
When I was young, then I was free. There was no limit to my imagination. Then I dreamed of changing the world.
When I became a little bigger and wise, I understood that the world would not change, so I made my goal a bit small and decided to change my country only, but it did not happen.
When I grew up, I made the last attempt in desperation, that only change my family who is close to me, but my family is not ready to change and now, when I lie down on death bed.
Suddenly I realized that, if I had changed my mind first, then seeing my family changed my family too.
May be able to make the country better by their inspiration and encouragement. Who knows maybe I change the world.