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माखन चोर आ गया

आया ब्रिज का बांका गोकुल की गलियों में शोर हो गया
मटकी अपनी सम्बालो चोर चोर चोर माखन चोर आ गया

संग ग्वाल बालो के आकर करता माखन की चोरी
कोई अगर बोले तो करता ये बरजोरी
ये रंगीला बड़ा है हठीला बड़ा करे करा मात रोज ये नया
माखन चोर आ गया

नटखट बड़ा नन्द लाला ना सुने बात जग की,
ये अपनी मस्ती में रह्ता करता है अपने मन की
करता शेतानिया फोड़ता मटकियाँ चर्चा में सबकी ये आ गया
माखन चोर आ गया

माखन भरी देख मटकी खुद को न रोक पाए
लाख पेहरा ये फिर भी माखन झट कर जाए
सारी ब्रिज गोपियाँ इस की मन मानिया,
कुंदन सोचे करे भी तो कया
माखन चोर आ गया……..

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