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मारे कंकरिया काहे को फोड़ी मटकी


कान्हा कौन तुझे सम्जाये तुझको लाज शर्म न आये
चोरी करके माखन खाए काहे हम को रोज सताए
मेरी पकड़ी कल्हाई कान्हा क्यों झटके
मारे कंकरिया काहे को फोड़ी मटकी……….

माखन तो है एक बहाना क्यों तुम करते जोर जोरी,
तेरे हाथ नही आऊगी मैं हु बरसाने की छोरी
बोलो जरा बोलो जरा जुबा क्यों अटकी
मारे कंकरिया काहे को फोड़ी मटकी……….

घर में लाखो गैया फिर भी कान्हा करते माखन चोरी
छोड़ो मुड जायेगी कान्हा नाजुक नर्म कलहिया मोरी
जानती हु बात तेरी घट घट की
मारे कंकरिया काहे को फोड़ी मटकी…………

करू शिकायत मैया से तोहे एसी सबक सिखाओ
अब छोड़ो चोरी करना अब तो जेल में बंद करवाऊ
भीम सेन कान्हा करे छीना जपटी,
मारे कंकरिया काहे को फोड़ी मटकी………..

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