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Meera bai Krishna prame

mira bai
mira bai

मीराबाई कृष्णप्रेम में डूबी, पद गा रही थी , एक संगीतज्ञ को लगा कि वह सही राग में नहीं गा रही है!
वह टोकते हुये बोले: “मीरा, तुम राग में नहीं गा रही हो।
मीरा ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया: “मैं राग में नहीं, अनुराग में गा रही हूँ।
राग में गाउंगी तो दुनियां मुझे सुनेगी
अनुराग में गाउंगी तो मेरा कान्हा मुझे सुनेगा।
मैं दुनियां को नही, अपने श्याम को रिझाने के लिये गाती हूँ।
रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,
रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।
“दिमाग” से बनाये हुए “रिश्ते”
बाजार तक चलते है,,,!
“और “दिल” से बनाये “रिश्ते”
आखरी सांस तक चलते है,.

🙏🍁‼ *जय श्री कृष्ण*‼🍁🙏

Hindi to English

Meerabai was drowned in the Krishna Kapram, she was singing, a musician felt that she was not singing in the right raga!
He said sharply: “Merry, you are not singing in anger.
Meera responded very beautifully: “I am singing in anurag, not in anger.
I will sing in anger, then the world will hear me
I will sing in Anurag then my ears will listen to me.
I sing the world, not to the world, to seduce my Shyam.
Relationship does not make a relationship,
Relationships build relationships.
“Relationships” created by “brain”
Moving to the market,!
“And” relationships “created by” heart “
The last breath is moving up.

🙏🍁‼ *Jai Shri Krishna*‼🍁🙏

 

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