ब्रिज की रज में लोट कर मैं तेरी हो जाऊ
मेरे शामल तू मेरा और मैं तेरी केहलाऊ ,
ब्रिज की रज में लोट कर मैं तेरी हो जाऊ
आजा मोहन पास मेरे तू अब हु मैं बस तेरे सहारे,
छोड़ी मैंने दुनिया सारी दुनिया से क्या लेना प्यारे
सांसो की माला पे मोहन नाम सिमरु जाऊ
मेरे शामल तू मेरा और मैं तेरी केहलाऊ ,
अगर तू भी दुनिया सा निकला सोदाई वे तू हरजाई
फिर मैं भी नही कुछ कर सकती ,
होनी तेरी है सुनवाई
मेरे मन की मैं जानू तेरे मन की मैं कहा पाऊ,
मेरे शामल तू मेरा और मैं तेरी केहलाऊ ,
जब से तेरा नाम लिया है तेरा ही बस ध्यान किया है
मेरे मोहन मेरे मुरारी तूने मुझको थाम लिया है,
तू सम्बालेगा फिर मुझको जब भी ठोकर खाऊ
मेरे शामल तू मेरा और मैं तेरी केहलाऊ…………