काया शुद्ध होत जब ब्रजरज उड़ंग लगे
माया शुद्ध होत कृष्ण नाम पर लुटाए ते
शुद्ध होत कान कथा कीर्तन श्रवण किए
नयन शुद्ध होत दर्ज युगल छवि पाए के
हाथ शुद्ध होत या ठाकुर की सेवा के
पांव शुद्ध होत धाम वृंदावन जाए के
मस्तक शुद्ध होत या श्री पति के चरण धरे
रसना शुद्ध होत श्यामा श्याम गुण गाए के
मेरी जुबान पे श्याम का जो नाम आ गया
एक लम्हा जिंदगी का मेरे काम आ गया
मुर्शीद ने मुझे आज वह दौलत है अता की
करोड़ों जन्म के पाप का अंजाम आ गया
सतगुरु की दया का यह करिश्मा तो देखिए
पर्दे में जो छिपा था लवी बाम आ गया
गफलत में पढ़ा सोता है उठ चेत होश कर
क्या देखता है मौत का पैगाम आ गया
दुनिया में पार सार कदम दम भरने वह लगा
जो मैं कदे से लौट कर ना काम आ गया
रिन्दो को भला और क्या अब चाहिए युगल
शाकी लिए हुए मैं गुलफाम आ गया…….