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मोहन छवि प्यारी का दर्श करू मन करता


रख लेना तुम रख सकते हो
हम निर्धन से पर्दा
मोहन छवि प्यारी का दर्श करू मन करता

श्याम रूप तेरा मन को भाये देखू न तो चैन न आये
अधरों पर मुरली रख कर जो रस कानो में भरता
मोहन छवि प्यारी का दर्श करू मन करता

नैना तेरे है मत वाले
कानो में है कुंडल डाले,
सारी श्रृष्टि का प्रभु मेरे तू पालन है करता
मोहन छवि प्यारी का दर्श करू मन करता

माही कहे जो दर पे आए सूरत देखता ही रह जाए
नजर तुझे न लग जाए रे विक्रम का मन डरता
मोहन छवि प्यारी का दर्श करू मन करता……………..

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