मुझे कोई मिल गया था, बृज राह चलते-चलते,
मुझे कोई ले गया था, उस शाम ढलते-ढलते ॥
मुस्कुरा कर कह रहा था, मैं हो गया तुम्हारा,
जादू सा कर दिया था, मोहन ने हंसते-हंसते,
मुझे कोई मिल गया था….
बांकी अदा जो देखी, हैरान हो गई थी,
अनमोल रत्न मैं पाकर, धनवान हो गई थी,
मुझे कोई मिल गया था….
मैं दीवानी हो गई थी, मस्तानी बन गई थी,
चरणों में खो गई थी, उस राह चलते-चलते,
मुझे कोई मिल गया था….
मुझे मिल गया सांवरिया, उस रात निधिबन में,
मैं बावरिया हो गई थी, वो रात ढलते-ढलते,
मुझे कोई मिल गया था….
ये अंखियाँ जन्म की प्यासी, मैं बन गई श्याम की दासी,
मैं कुर्बान हो गई थी, बृज राह चलते-चलते,
मुझे कोई मिल गया था…..